बीजेपी की केजरीवाल को कट्टर बेईमान साबित करने की रणनीति आई काम.. दिल्ली में आप का काम तमाम

आज की ताजा खबर पॉलिटिक्स
Spread the love

केजरीवाल के शीशमहल ने भी डुबोई आप की नाव .. रेनोवेशन पर ही 45 करोड़ खर्च करना पड़ा भारी

टाकिंग पंजाब

नईं‍ दिल्ली। खुद को गरीबों का मसीहा कहने वाले व तीन बार लगातार दिल्ली के मुख्यमंत्री बनने वाले अरविंद केजरीवाल को इस बार दिल्ली की जनता ने अपनी गोद से उतार दिया। नई दिल्ली में हुए चुनाव में आम आदमी पार्टी को हार तो मिली ही, लेकिन सबसे खास बात यह रही कि इन चुनावों में अरविंदर केजरीवाल व मनीष सिसोदिया तक हार गए। इस चुनावी नतीजों के बाद अब 12 साल बाद आम आदमी पार्टी दिल्ली की सत्ता से बाहर होने जा रही है, लेकिन आखिर यह तख्तापलट हुआ कैसे ? आईए जानते हैं ..    सबसे बड़ा कारण जो सामने आ रहा हैविह यह है कि ईडी व सीबीई ने केजरीवाल को शराब नीति में घोटाले को लेकर जेल भेजा। केजरीवाल जेल से ही सरकार तो चलाते रहे, लेकिन बीजेपी ने इस एक बड़ा मुद्दा बनाया। नवंबर 2021 में केजरीवाल सरकार नई शराब पॉलिसी लेकर आई, लेकिन 6 महीने बाद ही एलजी वीके सक्सेना ने पॉलिसी में गड़बड़ी बताते हुए सीबीआई जांच की मांग कर दी। अगस्त 2022 में सीबीआई ने करप्शन व ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग के केस दर्ज कर 21 मार्च को केजरीवाल को गिरफ्तार कर लिया। केजरीवाल कुल 177 दिन जेल में रहे। बीजेपी ने अपने चुनावी कैंपेन में इसे मुद्दा बनाया। केजरीवाल जो खुद को ‘कट्टर ईमानदार’ कहते थे, लेकिन बीजेपी ने उन्हें बार-बार ‘कट्टर बेईमान’ कहा, जिसाक असर चुनाव में दिखा।   इसके अलावा केजरीवाल के सरकारी बंगले के रेनोवेशन पर 45 करोड़ रुपए खर्च किए जाने को बीजेपी ने मुद्दा बनाया। मोदी ने इसे शीशमहल कहा व हर चुनावी रैली में इसका जिक्र भी किया। बीजेपी ने इस मुद्दे के जरिए उस नैरेटिव को कमजोर कर दिया, जिसमें केजरीवाल खुद को हवाई चप्पल पहनने वाला आम आदमी दिखाते थे व कहते थे कि वे सीएम बनने के बाद भी सरकारी बंगले में नहीं रहेंगे। इसके अलावा चुनाव के दौरान बीजेपी ने केजरीवाल की संपत्ति में बढ़ोतरी का मुद्दा भी उठाया। बीजेपी अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा था कि केजरीवाल ने 2020-21 में अपनी आय 45 लाख रुपए घोषित की थी, जो 2019-20 की आय से 40 गुना ज्यादा है।   हैरानी की बात है कि जब दुनिया भर की इंकम कोविड के चलते कम हो गई थी, लोगों की कमाई घट गई थी, तब केजरीवाल की आमदनी 40 गुना हो गई। इससे भी केजरीवाल पर करप्शन के आरोप लगे व उनकी ईमानदारी वाली इमेज कमजोर साबित हुई। इसके अलावा बीजेपी ने इस चुनाव को पीएम मोदी बनाम केजरीवाल बनाया। प्रधानमंत्री ने अपने नाम पर वोट मांगे व साफ तौर पर कहा कि ‘दिल्ली में मोदी को सेवा करने का मौका दीजिए।’ मोदी ने इस चुनाव में हर सभा में खुद के नाम पर वोट मांगे। मोदी ने रैलियों में कांग्रेस का एक बार भी जिक्र नहीं किया। कुल 5 रैलियों में पीएम ने कांग्रेस का जिक्र सिर्फ 20 बार किया, जबकि आप का जिक्र 178 बार किया।   एक्सपर्ट्स के मुताबिक बीजेपी चाहती थी कि कांग्रेस, आम आदमी पार्टी का नुकसान करती रहे। सीधे-सीधे आप को टारगेट करके बीजेपी ऐसा करने में कामयाब रही। दिल्ली में इस स्ट्रैटजी को कामयाब करने के लिए बीजेपी ने अपने सबसे बड़े चेहरा प्रवेश वर्मा को केजरीवाल के खिलाफ नई दिल्ली सीट से उतारा। प्रवेश वर्मा दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री साहिब सिंह वर्मा के बेटे हैं और जाटों के बड़े नेता भी।इसके अलावा भाजपा ने एक ओर दाव ​खेला। वोटिंग से 3 दिन पहले 12 लाख तक इनकम टैक्स फ्री करने की घोषणा कर दी। अब दिल्ली में 67 प्रतिशत आबादी मिडिल क्लास है। पिछले चुनावों में मिडिल क्लास ने आप को एकतरफा वोट किया था। इस बार बीजेपी ने अपने चुनावी कैंपेन में मिडिल क्लास को टारगेट किया। यह सभी बाते शायद दिल्ली में बीजेपी की सरकार लाने में सफल रही हैं। 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *