एचएमवी में नेशनल सेमिनार का सफल आयोजन

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हमारी संस्था विकसित भारत बनाने में अपना योगदान देने के लिए प्रतिबद्ध है- प्राचार्या प्रो. डॉ. अजय सरीन

टाकिंग पंजाब

जालंधर। हंस राज महिला महाविद्यालय, जालंधर में अर्थशास्त्र के पीजी विभाग द्वारा आईसीएसएसआर नॉर्थ वेस्टर्न रीजनल सेंटर के सहयोग से विकसित भारत 2047: अचीविंग सस्टेनेबल डिवेलपमेंट गोल्स पर एक राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का आरंभ ज्योति प्रज्जवलित कर डीएवी गान से हुआ। प्राचार्या प्रो. डॉ. अजय सरीन ने मुख्य मेहमान वाईके सूद तथा रिसोर्स पर्सन प्रो. शिव कुमार (प्रिंसिपल साइंटिस्ट एंड हेड, डिवीजन ऑफ मार्किट्स एंड ट्रेड-आईसीएआर-नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एग्रीकल्चर इकोनॉमिक्स एंड पॉलिसी रिसर्च)(एनआईएपी) नई दिल्ली, प्रो. नवनीत कौर अरोड़ा, यूआईएचएस पंजाब विश्वविद्यालय चंडीगढ़, प्रो. सुरेन्द्र मोर, सीनियर प्रो. बीपीएस महिला विश्वविद्यालय, सोनीपत, हरियाणा, प्रो. गुरजीत कौर यूनिवर्सिटी ऑफ जम्मू एंड कश्मीर, प्रो. स्वाति मेहता जीएनडीयू अमृतसर, प्रदीप कुमार वर्मा, प्रिंसिपल डायरेक्टर सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ हैंड टूल्स जालंधर, मिनिस्ट्री ऑफ एमएसएमई, मनीषा, सीनियर स्टैटिस्टिकल ऑफिसर एनएसओ (एफओडी), रीजनल ऑफिस जालंधर को प्लांटर भेंट कर हार्दिक स्वागत किया।         प्राचार्या डॉ. अजय सरीन ने अपने संबोधन में कहा कि हमारी संस्था विकसित भारत बनाने में अपना योगदान देने के लिए प्रतिबद्ध है। कालेज ने पर्यावरण सुरक्षा हेतु कई कदम उठाए हैं। सौर ऊर्जा द्वारा बिजली प्रयोग व वर्षा जल संचयन किया जाता है। कालेज में पेपर रिसाइक्लिंग द्वारा पेपर को फाइल व फोल्डर में बदल कर रीयूज किया जाता है। उन्होंने बताया कि कालेज में फॉइल पेपर के प्रयोग पर प्रतिबंध लगाकर कपड़े के नैपकिन का प्रयोग करने की पहल भी की गई है। उन्होंने कहा कि ऊर्जा संसाधनों का विवेकपूर्ण उपयोग कर देश के विकास में अपना योगदान देना चाहिए।         डॉ. शालू बत्तरा अर्थशास्त्र विभागाध्यक्षा और सेमिनार कोआर्डिनेटर ने मुख्य मेहमान व आए हुए सभी रिसोर्स पर्सन का संक्षिप्त परिचय देते हुए सेमिनार के विषय पर बात की। उन्होंने कहा कि इस सेमिनार का उद्देश्य नवाचार, आर्थिक स्थिरता और विकास को बढ़ावा देना है। मुख्यातिथि वाईके सूद ने कहा कि हर विकास अपने-आप से ही शुरू होता है। जिस तरह हम अपने घर को साफ रखते हैं, हमें अपने समाज की स्वच्छता पर भी ध्यान देना चाहिए। हमें देश के विकास के लिए प्रयास करना चाहिए और देश के प्रति जो हमारे कत्र्तव्य है, उन्हें निभाना चाहिए। उन्होंने छात्राओं को विकसित भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने हेतु सतत् प्रयत्नशील रहने की भी प्रेरणा दी।         उन्होंने संस्था द्वारा इस दिशा में किए जा रहे प्रयासों की सराहना की। इस सत्र में मुख्य वक्ता प्रो. शिव कुमार ने भौगोलिक संकेत के आर्थिक प्रभाव : भारत में बासमती चावल की एक केस स्टडी विषय पर विस्तारपूर्वक चर्चा की। प्रो. नवनीत कौर अरोड़ा ने विकसित भारत में नारी के स्थान व योगदान, नारी तथा पुरुष की आर्थिक समानता व नारी सुरक्षा पर चर्चा की तथा कहा कि नारी व पुरुष के समान सहयोग से ही देश का विकास संभव है। अगले सत्र में प्रो. सुरिंदर कौर, प्रो. गुरजीत कौर, डॉ. स्वाति मेहता, मनीषा तथा प्रदीप कुमार वर्मा जैसे प्रतिष्ठित विषय विशेषज्ञों ने मुख्य विषय से जुड़े विभिन्न विषयों पर चर्चा की। \       सेमिनार में दो समानांतर सत्र भी शामिल थे जहां शोध-पत्र प्रस्तुतकत्र्ताओं ने भारत के विकास और स्थिरता, बौद्धिक आदान-प्रदान तथा अभिनव समाधानों को बढ़ावा देने संबंधी विविध उप-विषयों पर चर्चा की। कार्यक्रम के समापन सत्र में प्रो. कमल वत्ता, पंजाब कृषि विश्वविद्यालय, लुधियाना ने कहा कि विकसित भारत के विजन को साकार करने में एकजुट होकर प्रयासरत रहना होगा। समस्त कार्यक्रम का संचालन डॉ. शालू बत्तरा, ज्योतिका मिन्हास, चंद्रिका तथा हरमनुपाल द्वारा किया गया। मंच संचालन डॉ. अंजना भाटिया, ज्योतिका मिन्हास, सुकृति शर्मा व रश्मि सेठी द्वारा किया गया। इस अवसर पर डीन अकादमिक डॉ. सीमा मरवाहा, आईक्यूएसी कोआर्डिनेटर डॉ. आशमीन कौर, डीन रिसर्च एंड इनोवेशन डॉ. अंजना भाटिया व विभिन्न विभागों के फैकल्टी सदस्य तथा 200 से अधिक प्रतिभागी उपस्थित रहे।

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