सर्वे में हुआ चौंकाने वाला खुलासा… विदेशों में बेहतर जीवन स्तर व आसान कारोबारी माहौल बन रहा है देश छोड़ने का कारण
टाकिंग पंजाब
नई दिल्ली। अगर एक व्यक्ति अरबपति है तो हमें लगता होगा कि उसे किसी किस्म की कोई कमी नहीं होगी, लेकिन एक सच्चाई सामने आई है कि 100 में से 22 अरबपति ऐसे हैं जो अरबपति होने के बाद भी भारत छोड़ना चाहते हैं। यह चौकाने वाला खुलासा देश की अग्रणी संपत्ति प्रबंधक कंपनी कोटक प्राइवेट ने सलाहकार कंपनी ईवाई के साथ मिलकर किए गए एक सर्वेक्षण में हुआ है। इस सर्वे में एक चौंकाने वाली बात निकलकर सामने आई है कि देश के सुपर रिच लोगों में हर 100 में से 22 लोग देश छोड़कर दूसरे देशों में बसना चाहते हैं। सर्वे के निष्कर्ष में क्या है, आइए इसके बारे में जानते हैं। सर्वे के अनुसार, कम से कम 22 प्रतिशत धनी भारतीय यहां रहने की स्थिति, विदेशों में बेहतर जीवन स्तर व अन्य देशों में आसान कारोबारी माहौल जैसे कारणों से देश छोड़ना चाहते हैं। यह सर्वे 150 अति धनाढ्य व्यक्तियों के बीच किया गया। सर्वे के अनुसार अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा व यहां तक कि संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) अपनी गोल्डन वीजा योजनाओं के कारण पसंदीदा स्थान हैं, जहां अमीर लोग बसना चाहते हैं। संपत्ति प्रबंधक कंपनी कोटक प्राइवेट के सलाहकार कंपनी ईवाई के साथ मिलकर किए सर्वेक्षण में विदेश मंत्रालय के अनुसार कहा गया है कि हर साल 25 लाख भारतीय दूसरे देशों में प्रवास करते हैं। सर्वेक्षण के निष्कर्षों में कहा गया है कि “सर्वेक्षण में शामिल हर पांच में से एक अति धनाढ्य व्यक्ति वर्तमान में प्रवास की प्रक्रिया में हैं या प्रवास की योजना बना रहे हैं।” सर्वेक्षण में यह भी कहा गया है कि उनमें से अधिकांश अपनी भारतीय नागरिकता बरकरार रखते हुए अपनी पसंद के मेजबान देश में स्थायी रूप से निवास करना चाहते हैं। जीवन स्तर में सुधार के लिए देश छोड़कर जाने को तैयार अमीर भारतीय – सर्वेक्षण में कहा गया है कि भारत छोड़ने वाले अमीर लोग जीवन स्तर में सुधार, स्वास्थ्य देखभाल समाधान, शिक्षा या जीवनशैली चाहते हैं। दो तिहाई से अधिक लोगों ने कहा कि व्यवसाय संचालन को सुचारू बनाना उनके लिए सबसे बड़ी प्राथमिकता है। सर्वेक्षण में यह भी कहा गया कि अपने बच्चों के लिए अच्छी उच्च शिक्षा की चाहत उन्हें यह विकल्प चुनने के लिए प्रेरित करती है। 36-40 और 61 वर्ष से अधिक के लोगों में देश छोड़ने की इच्छा सबसे अधिक – भारत में रहने वाला एक भारतीय नागरिक प्रति वर्ष केवल 250,000 अमेरिकी डॉलर ही देश से बाहर ले जा सकता है, जबकि एक एनआरआई को 10 लाख डॉलर बाहर ले जाने की अनुमति है। इससे यह सुनिश्चित होता है कि पूंजी का कोई बड़ा पलायन नहीं हो रहा। सर्वेक्षण में कहा गया है कि उद्यमियों या उनके उत्तराधिकारियों की तुलना में पेशेवरों में देश छोड़ने की प्रवृत्ति अधिक है। आयु समूह के नजरिए से देखें तो 36-40 वर्ष व 61 वर्ष से अधिक आयु वर्ग के लोग प्रवास के लिए अधिक इच्छुक हैं। साल 2023 में 2.83 लाख भारतीय ऐसे थे जिन्हें यूएचएनआई की संज्ञा दी गई है। इनमें से प्रत्येक की कुल संपत्ति 25 करोड़ रुपये से अधिक है और उनकी कुल संपत्ति 2.83 लाख करोड़ रुपये आंकी गई है। सर्वेक्षण के अनुसार, 2028 तक यह संख्या बढ़कर 4.3 लाख हो जाएगी, जिनके पास 359 लाख करोड़ रुपये की संपत्ति होगी। इस सर्वे की माने तो यह आंकड़े काफी परेशान करने वाले हैं। पहले कहा जाता था कि नौजवान ही नौकरी के लिए विदेश का रूख कर रहे हैं, लकिनइस सर्वे के बाद देश के अरबपतियों की देश से बाहर बसने की इच्छावकई चिंता का विषय है।