हवाई यात्रा कितनी सुरक्षित ? आंकड़ों से समझिए प्लेन क्रैश से किस साल कितनी गईं जान

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साल 2014 विमान हादसों के लिए हुआ सबसे काला साल साबित.. इस साल 904 लोगों ने गंवाई थी अपनी जान

टाकिंग पंजाब

अहमदाबाद। गुरुवार 12 जून को अहमदाबाद में एयर इंडिया के प्लेन क्रैश में सैंकड़ों लोगों ने अपनी जान गवां दी थी। सरकारी आंकड़ों के अनुसार इस हादसे में कुल 265 लोगों की जान गई है। इसमें 241 लोग वह थे, जो एयर इंडिया की लंदन जा रही विमान में सवार थे। सौभाग्य से विंडो सीट पर बैठा एक शख्स इस भयंकर हादसे में जीवित बच गया। अहमदाबाद में हुए विमान हादसे के बाद हवाई यात्रा कितनी सुरक्षित इस पर चर्चा होने लगी है।   इस हादसे के बाद से सोशल मीडिया पर कई लोगों ने हवाई यात्रा को लेकर अपने डर को भी जाहिर किया। कुछ लोगों ने कहा कि वो यात्रा के दौरान हनुमान चालीसा का पाठ करते रहे तो कुछ लोगों ने फ्लाइट लैंड करने के बाद सेफ्टी टिप्स पोस्ट किए। जाहिर है जान की फ्रिक हर किसी को होती ही है।लेकिन अहमदाबाद प्लेन क्रैश के बीच यह समझना जरूरी है कि हवाई यात्रा कितनी सुरक्षित है ? साल 2024 में दुनिया भर में हवाई यात्रा करने वालों की संख्या 475 करोड़ से अधिक थी। इस साल यह आंकड़ा 5 अरब से अधिक होने की उम्मीद है। आइए आंकड़ों के जरिए जानते हैं कि हवाई यात्रा कितनी सुरक्षित है।    साल 2014 में विमान हादसे में सबसे अधिक 904 लोगों की मौत हुई थी। यह आंकड़े संयुक्त राष्ट्र से जुड़ी संस्था इंटरनेशलन सिविल एविएशन ऑर्गनाइजेशन के हैं। साल 2005 में 824 लोगों ने विमान हादसों में जान गंवाई। साल 2008 में मरने वालों का आंकड़ा घटकर 524 हो गया। साल 2013 में मरने वालों की संख्या घटकर 173 हो गई लेकिन अगले साल यानि कि 2014 विमान हादसों के लिए काला साल साबित हुआ। इस साल 904 लोगों ने अपनी जान गंवाई। इसके बाद साल 2020 में 298 लोगों ने अपनी जान गंवाई तो साल 2023 में 72 लोगों की जान विमान हादसे में गई। साफ है कि विमान हादसे में मरने वालों की संख्या में समय के साथ काफी कमी आई है।   दरअसल साल 2005 में 119 विमान हादसे हुए व 2008 में इसकी संख्या बढ़कर 138 हो गई। साल 2012 में यह संख्या 100 से नीचे आ गई। साल 2016 में विमान हादसों की संख्या घटकर 75 हो गई व साल 2023 में कुल 66 विमान दुर्घटना हुई। यानि कि समय के साथ विमान दुर्घटना की संख्या में कमी आई है। अब सवाल यह है कि लैंडिंग-टेकऑफ, हवा में या कब होते हैं हवाई हादसे ? तो इस पर जानकारों का कहना है कि आधे जानलेवा हादसे लैंडिंग-टेकऑफ के वक्त होते हैं। अब तक 37 फीसदी जानलेवा हादसे लैंडिंग के समय हुए। टेकऑफ करते हुए 13 फीसदी जानलेवा हादसे हुए।    इसके अलावा लैंडिंग के लिए फाइनल अप्रोच करते समय 10 फीसदी हादसे हुए जबिक विमान जब उड़ान की शुरुआत के बाद ऊंचाई पकड़ता है व फ्लैप्स बंद करता है, यह समय भी जानलेवा हादसों के लिए 10 फीसदी जिम्मेदार है। इसके साथ ही समतल उड़ान के समय भी 10 फीसदी हादसे, टैक्सी, लोड/अनलोड, पार्किंग, टो करते समय भी 10 फीसदी जानलेवा हादसे होते हैं। प्रारंभिक चढ़ान के समय 7 फीसदी जानलेवा हादसे हुए तो नीचे उतरते समय 3 फीसदी जानलेवा हादसे हुए हैं। इन हादसों के बावजूद प्लेन में सफर करने वाले यात्रियों की संख्या में इजाफा ही हुआ है। इससे साफ जाहिर है कि इस अनहोनी घटनाओं का प्लेन में सफर करने वाले लोगों पर कुछ खासा असर नहीं पड़ता है।

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