सीटी ग्रुप ने “आज़ाद भारत से दयालु भारत तक” की थीम के तहत 79 परोपकारी कार्य किए आयोजित

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ये 79 परोपकारी कार्य हमारे राष्ट्र की संवेदनशीलता, लचीलेपन और एकता को दर्शाते- चेयरमैन चरणजीत सिंह चन्नी

टाकिंग पंजाब

जालंधर। भारत की 79वीं आज़ादी के उपलक्ष्य में, सीटी ग्रुप ने “आज़ाद भारत से दयालु भारत तक” की थीम के तहत 79 परोपकारी कार्य आयोजित किए। पौधारोपण अभियान, सैनिटरी पैड वितरण, स्वच्छता ड्राइव, किताब दान, स्टेशनरी वितरण, स्वास्थ्य जांच शिविर और अन्य कई पहलों के माध्यम से इन छोटे-छोटे प्रयासों ने 79 कार्यों का एक बड़ा योगदान दिया, जो भारत की 79 वर्षों की स्वतंत्रता का प्रतीक है। इन कार्यों ने आज़ादी के जश्न को समाज के लिए सार्थक कदमों में बदल दिया।           इन पहलों का शुभारंभ सम्मानित प्रबंधन द्वारा किया गया, जिसमें चेयरमैन चरणजीत सिंह चन्नी, को-चेयरपर्सन मैडम परमिंदर कौर, मैनेजिंग डायरेक्टर डॉ. मनबीर सिंह, जॉइंट मैनेजिंग डायरेक्टर तनिका चन्नी, वाइस-चेयरमैन हरप्रीत सिंह, एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर डॉ. नितिन टंडन, डायरेक्टर कैंपस संग्राम सिंह, डायरेक्टर ऑफ एडमिशन्स डॉ. वनीत ठाकुर और डीन स्टूडेंट वेलफेयर डॉ. अर्जुन शामिल थे। तीन दिनों तक चले इन कार्यक्रमों में छात्रों ने पौधारोपण, किताब दान, स्वच्छता अभियान, स्वास्थ्य जांच शिविर, सैनिटरी पैड वितरण, स्टेशनरी वितरण, कैंपस सज्जा आदि गतिविधियों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया।         एनसीसी कैडेट्स ने भी इन अभियानों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और अपने अनुशासन व समर्पण से इस मिशन को सफल बनाया। इन कार्यों की खास बात केवल उनका क्रियान्वयन ही नहीं, बल्कि उनसे जुड़ी सीख भी थी। छात्रों ने चर्चा करते हुए समझा कि पौधारोपण पर्यावरण संतुलन के लिए क्यों ज़रूरी है, शहरी स्वच्छता क्यों मायने रखती है, किताबें और स्टेशनरी दान शिक्षा के अंतर को कैसे पाट सकते हैं, और देश के भविष्य के लिए सतत प्रथाएँ क्यों आवश्यक हैं।          ये अभियान समाज के हर वर्ग तक पहुँचे और स्थिरता, दया व देने की भावना को बढ़ावा दिया। इस अवसर पर चेयरमैन चरणजीत सिंह चन्नी ने कहा कि सच्ची आज़ादी तब होती है जब हम अपनी स्वतंत्रता का उपयोग दूसरों की सेवा, उत्थान और प्रेरणा के लिए करते हैं। ये 79 परोपकारी कार्य हमारे राष्ट्र की संवेदनशीलता, लचीलेपन और एकता को दर्शाते हैं। मैनेजिंग डायरेक्टर डॉ. मनबीर सिंह ने कहा कि हमारा उद्देश्य केवल स्वतंत्रता दिवस मनाना नहीं, बल्कि छात्रों को छोटे-छोटे कार्यों के बड़े प्रभाव का अनुभव कराना था। आज़ाद भारत से दयालु भारत तक – यही वह सफर है जिसमें हम सभी का योगदान ज़रूरी है।

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