भाई अमृतपाल सिंह के मामले को आतंकी जांच के रूप में लेकर आगे बढ़ रही है केंद्र सरकार
टाकिंग पंजाब
नई दिल्ली। वारिस पंजाब दे के प्रमुख व खालिस्तान समर्थक भाई अमृतपाल सिंह के खिलाफ शस्त्र अधिनियम के तहत एक नई एफआईआर दर्ज की गई है। भाई अमृतपाल सिंह अभी फरार चल रहे हैं, लेकिन केंद्र सरकार इस मामले को एक आतंकी जांच के रूप में लेकर आगे बढ़ रही है। माना जा रहा है कि शीर्ष आतंकवाद विरोधी निकाय राष्ट्रीय जांच एजेंसी अवैध हथियार रखने के आरोप में भाई अमृतपाल सिंह व उनके सात सहयोगियों की जांच कर सकती है। आर्म्स एक्ट के मामले एनआईए अधिनियम में शामिल हैं। नए मामले में खालिस्तानी नेता को आरोपी नंबर एक नाम दिया गया है। इस बीच भाई अमृतपाल सिंह के चार शीर्ष सहयोगियों को गिरफ्तार कर इन पर कड़े राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (एनएसए) के तहत आरोप दर्ज किए गए हैं। इतना ही नहीं आज पकड़े गए भाई अमृतपाल सिंह का चाचा पर भी एनएसए लगाया गया है। यह एनएसए यानि राष्ट्रीय सुरक्षा कानून पुलिस को देश भर में किसी भी जेल में संदिग्धों को हिरासत में लेने की अनुमति देता है। खुफिया सूचना में कहा गया है कि खालिस्तान समर्थक भाई अमृतपाल सिंह हथियारों को जमा करने के लिए नशा मुक्ति केंद्रों का इस्तेमाल कर आत्मघाती हमले के लिए युवाओं को तैयार कर रहा था। विभिन्न सुरक्षा एजेंसियों के साथ एक डोजियर तैयार किया गया है। सब कुछ ISI के इशारे पर हो रहा था।
पाकिस्तान से गैरकानूनी हथियार मंगवाकर इन्हीं सेंटरों में स्टोर किया जा रहा था, जिसके जरिए ही वह आनंदपुर खालसा फोर्स तैयार कर रहा था। सब कुछ अमृत संचार के नाम पर किया जा रहा था। इसमें दावा किया गया है कि भाई अमृतपाल सिंह युवाओं को खाड़कू या मानव बम बनाने के वास्ते उन्हें तैयार करने में मुख्य रूप से शामिल था। अधिकारियों का कहना है कि वारिस पंजाब दे द्वारा संचालित कई नशा-मुक्ति केंद्रों में हथियारों को अवैध रूप से जमा किया जा रहा है। पुलिस सूत्रों की माने तो भाई अमृतपाल के फाइनेंसर दलजीत सिंह कलसी के पास 2 साल में 35 करोड़ रुपए का विदेशी फंड आया। उसके फोन से पाकिस्तान में भी बात हुई। पुलिस उसके मोबाइल की जांच कर रही है।