सुशील रिंकू के आप में आने के बाद आया वैस्ट हल्के से विधायक का ब्यान

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सुशील रिंकू को फेसबुक पर पोस्ट डाल दी पार्टी में आने पर बधाई .. कहा, उनसे दुश्मनी पार्टी को लेकर थी..अब नहीं है। 

टाकिंग पंजाब 
जालंधर। राजनीति में कहते हैं कि कोई किसी का दोस्त नहीं होता व न ही कोई किसी का जाति दुश्मन होता है। राजनीति में दोस्त कब दुश्मन बन जाएं व दुश्मन कब दोस्त बन जाए पता ही नहीं चलता। यह बात आज जालंधर के वैस्ट हल्के में कांग्रेस के पूर्व विधायक सुशील रिंकू व आप के मौजूदा विधायक शीतल अंगुराल को लेकर सच्च होती दिखाई दे रही है। साल 2022 के विधानसभा चुनाव में शीतल अगुराल ने सुशील रिंकू के खिलाफ चुनाव लड़ा था, जिसमें सुशील रिंकू हार गए थे। उस समय सुशील रिंकू व शीतल अंगुराल के बीच 36 का नहीं 72 का आंकड़ा था। वैस्ट हल्के से विधायक बनने के बाद भी शीतल अंगुराल व सुशील रिंकू के बीच आपसी विवाद कम नहीं हुआ था।
   मगर आज देखिए कि सुशील रिंकू जब कांग्रेस को अलविदा कहकर आप में शामिल हो गए हैं व पार्टी ने उन्हें जालंधर में होने वाले लोकसभा के उप चुनाव के लिए उम्मीदवार घोषित कर दिया है तो शीतल अंगुराल ने उनका स्वागत किया है। सुशील रिंकू के कट्टर राजनीतिक दुश्मन रहे वैस्ट हल्के से आप विधायक शीतल अंगुराल का एक बड़ाबयान भी सामने आया है। शीतल अंगुराल ने अपने फेसबुक पेज पर सुशील रिंक की टिकट की चिठ्ठी डालते हुए सुशील रिंकू को टिकट मिलने पर बधाई दी है। इतना ही नहीं शीतल अंगुराल ने चिठ्ठी पोस्ट करने के साथ साथ लिखा है कि आम आदमी पार्टी जालंधर लोक सभा उम्मीदवार बनाए जाने पर सुशील रिंकु को हार्दिक शुभकामनाएँ।
   उनकी इस पोस्ट से ऐसा प्रतीत हो रहा है कि जैसे सुशील रिंकू के आप पार्टी में आने से उन्हें काफी खुशी हुई है। अब यह खुशी ​है या फिर हाईकमान का प्रैशर है, यह तो अभी पता नहीं, लेकिन क्यास लगाए जा रहे हैं कि आप ने इस चुनाव के लिए सभी को हिदायतें भेजी हैं, जिसके कारण पुरानी दुश्मनी आज दोस्ती में बदलती दिखाई दे रही है। हालांकि बुध‍वार को जब सुशील रिंकू ने आप का दामन थामा तो उस समय शीतल अंगुराल ने कहा था कि सुशील रिंकू के साथ उनकी दुश्मनी पार्टी को लेकर थी। अब रिंकू आप में आ गए हैं तो उन्हें उनसे अब कोई दिक्कत नहीं है। शीतल अंगुराल ने तो यहां तक कह दिया कि वह रिंकू को जीताने के लिए पूरा जोर लगाएंगे व यह सीट जीतकर पार्टी की झोली में डालेंगे।
  इसके बाद यह देखना होगा कि एक ही हल्के में पिछले लंबे समय से एक दूसरे के कट्टर विरोधी रहे यह दोनों नेता एक ही पार्टी में कैसे रह पाते हैं। इसके लिए इन दोनों को पुरानी बातें भुलाकर आगे की तरफ देखना होगा ओर यह तभी संभव हो सकता है, जब यह दोनों नेता व उनके समर्थक एक दूसरे की मदद करें व इस समय आपसी दुश्मनी या फिर प्रतिर्स्पधा को भूलकर पार्टी हित में काम करें। अगर इन दोनों में किसी ने भी अपने दिल के अंदर पुरानी चिंगारी को सुलगाए रखा तो आने वाले समय में वैस्ट हल्के में फिर से गुटबाजी दिखाई देना संभव है।

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