आंतक के मुंह पर इंसानियत का तमाचा.. शहीद जवानों के दुख में ईद नहीं मनाऐंगे सांगियोटे गांव के लोग

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सांगियोट पंचायत के सरपंच मुख्तियाज खान ने कहा, हमारे 5 जवान शहीद हो गए हैं, ऐसे में हम कैसे कर सकते हैं इफ्तार

टाकिंग पंजाब

जम्मू-कश्मीर। आतंक का कोई महजब नही होता व न ही इंसानियत का कोई धर्म होता है। आतंकवादियो की बंदूक से निकली गोली यह नहीं देखती कि वह किसी धर्म के इंसान की छाती छलनी करने जा रही है। उनकी गोलियों से हिंदू भी शहीद होते हैं व मुस्लमान भी। उनकी गोली सिख जवानों का सीना भी छलनी करती है व ईसा​ईयों का भी। जम्मू-कश्मीर के पुंछ जिले के सांगियोटे गांव में आर्मी के ट्रक पर हुआ आतंकी हमला इस बात का सबूत है।   कहा जा रहा है कि आर्मी के जिस ट्रक पर आंतकवादियों ने हमला कर 5 जवानों को शहीद कर दिया था, वह जवान इसी गांव के लोगों के इफ्तार के लिए फल व अन्य सामान लेकर जा रहे थे। आर्मी के इन जवानों ने तो अपना इंसानियत का फर्ज पूरा कर दिया, लेकिन आंतकवादियों ने उस ट्रक पर हमला करके, जिस ट्रक पर इफ्तार के लिए फल व अन्य सामान जा रहा था, साबित कर दिया कि आँतक का कोई धर्म व कोई मजहब नहीं होता। आंतक का चोला धारण किए इन आंतकियों को इसी गांव के लोगों ने मुंह तोड़ जवाब देते हुए यह ऐलान कर दिया कि वह आर्मी ट्रक पर हुए आतंकी हमले की वजह से आज यानी शनिवार को ईद नहीं मनाएंगे।    यह वह मुस्लमान हैं, जो आर्मी के शहीद हुए जवानों के कारण दुखी हैं। दरअस्ल जम्मू- कश्मीर के पुंछ जिले के सांगियोटे गांव के यह वह लोग हैं जिन लोगों के लिए यह ट्रक इफ्तार के लिए फल व अन्य सामान लेकर जा रहा था। राष्ट्रीय राइफल्स की यूनिट ने इफ्तार पार्टी के लिए यह व्यवस्था की थी। स्थानीय लोगों के अनुसार सांगियोटे गांव में गुरुवार शाम 7 बजे यह कार्यक्रम होने वाला था। इसमें 4 हजार से ज्यादा लोग शामिल होने वाले थे। सांगियोट पंचायत के सरपंच मुख्तियाज खान ने कहा कि इफ्तार में मुझे भी जाना था। जब हमारे पांच जवान शहीद हो गए हैं, ऐसे में हम इफ्तार कैसे कर सकते हैं।  सरपंच मुख्तियाज खान ने कहा कि हमें जब खबर मिली तो गांव में मायूसी छा गई। हम भी वहां जाना चाहते थे, लेकिन पुलिस और सेना ने इलाके की घेराबंदी कर दी थी। उन्होंने कहा कि गांव वाले शनिवार को ईद नहीं मनाएंगे। हम केवल नमाज अदा करेंगे। सरपंच मुख्तियाज खान व उन जैसे कितने ही ऐसे मुस्लमान हैं, जो कि खून-खराबा नहीं चाहते। ईद के दिन इफ्तार को रद्द करके इन मुस्लमानों ने यह संदेश दिया है कि देश का हर मुस्लमान आतंक नहीं चाहता है। आपको बता दें कि इस हमले के बाद से सुरक्षा बल व जम्मू-कश्मीर पुलिस बाटा-डोरिया क्षेत्र के घने जंगल में बड़ा तलाश अभियान चला रही है। ड्रोन व खोजी कुत्तों, हेलिकॉप्टर से आतंकियों की तलाशी की जा रही है। अब तक 12 लोग हिरासत में लिए गए हैं।

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