उप चुनाव के मद्देनजर सियासी पार्टीयों में हो रहे फेरबदल को देख कर कंफ्यूज हुई जनता 

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जनता को आप में कांग्रेस, कांग्रेस में आप, भाजपा में कांग्रेस व आप में नजर आ रही है भाजपा 

टाकिंग पंजाब
जालंधर। देश में होने वाले लोकसभा चुनावों के लिए अभी लगभग 8 से 10 माह पड़े हैं। इससे पहले इन 8 से 10 महीनों के लिए जालंधर में लोकसभा का उप चुनाव होने जा रहा है। इस उप चुनाव में सभी राजनीतिक पार्टीयों में इतना फेरबदल देखने को मिल रहा है, जैसे कि यह उप चुनाव न होकर देश में होने वाले लोकसभा चुनाव ही हों। हर पार्टी का नेता मौका भुनाने के चक्कर में दूसरी पार्टीयों में आ रहा है, जा रहा है। इस चुनाव में इतना फेरबदल देखने को मिल रहा है, जितना ​शायद लोकसभा के चुनावों में भी देखने को न मिले। कांग्रेस के नेता आप में जा रहे हैं तो अकाली दल या अन्य पार्टीयों के नेता भाजपा का दामान थामने में लगे हैं।
    सबसे ज्यादा सर्जीकल स्ट्राईक पार्टीयों में आम आदमी पार्टी व भाजपा कर रही है। वह इसका सबसे बड़ा नुक्सान कांग्रेस व अकाली दल को हो रहा है। इसका कारण यह है कि अकाली दल व कांग्रेस के नेता आप या भाजपा का दामन तेजी से थाम रहे हैं। हाल ही में कांग्रेस के पूर्व विधायक ने कांग्रेस को छोड़ आप ज्वाईन की तो आप ने भी उक्त पूर्व विधायक को लोकसभा के उप चुनाव में टिकट देकर उनका हौंसला बढ़ाया। इसके अलावा लंबे समय से भाजपाई रहे भगत चूनी लाल के बेटे मोहिंदर भगत ने तो बदलने की सारी हदें ही पार कर डाली। उन्होंने भाजपा को अलविदा कर आम आदमी का झाड़ू थाम लिया। ऐसे एक नहीं, कई नेता हैं जो इस लोकसभा के उप चुनाव में पलटी मार गए हैं।
    आज भी लोक इंसाफ पार्टी के अध्यक्ष व पूर्व विधायक सिमरजीत सिंह बैंस व पूर्व विधायक बलविंदर सिंह बैंस ने भाजपा को समर्थन देने का ऐलान कर दिया। शिरोमणि अकाली दल मान से राजनीति की शुरुआत करने वाले यह दोनों भाई अकाली दल बादल में शामिल हो गए थे।लंबे राजनीतिक सफर को तय करने के बाद आज दोनों भाइयों ने भाजपा को समर्थन देने का ऐलान कर दिया है। हालांकि माना जा रहा है कि इन दोनों नेताओं के भाजपा में आने से पार्टी को लुधियाना से मजबूती मिलेगी, क्योंकि लुधियाना में दोनों भाइयों का काफी दबदबा है। दूसरी तरफ भाजपा का गांवों में आधार न के बराबर है, जिसके चलते भाजपा भी पंजाब में मजबूती से पांव जमाना चाहती है।
   इसलिए पार्टी लगातार कांग्रेस, अकाली दल व अन्य दलों के कद्दावर नेताओं को पार्टी में शामिल करवा रही है। अब इस उप चुनाव में राजनीतिक पार्टीयों में इतना फेरबदल हो गया है ​कि जनता कंफ्यूज हो गई है कि वह वोट किसे करे। जनता को आप में कांग्रेस, कांग्रेस में आप, भाजपा में कांग्रेस व आप में भाजपा नजर आ रही है। जनता को समझ नहीं आ रहा है कि वह किसे वोट करे व किसे नहीं। इस कश्मकश में उम्मीदवारों को नुक्सान भी हो सकता है। फिलहाल इस चुनाव पर आप सरकार की प्रतिष्ठा व कांग्रेस की हाथों से निकलती सीट दाव पर लगी है। इस चुनाव में किसे जीत हासिल होगी, अब यह तो जनता के मूढ़ पर ही निर्भर करता है, क्योंकि जनता का मूढ़ कब बदल जाए कोई नहीं जानता।

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