जालंधर कैंट में पहुंचे आप विधायक दलजीत सिंह भोला व शाहकोट में गए बाबा बकाला के आप विधायक दलबीर सिंह टोंग पर लगे आरोप से हुई किरकिरी
आप के पुराने धाकड़ नेता रहे डॉ. संजीव शर्मा ने उठाए पार्टी की कार्यप्रणाली पर सवाल.. कहा, चुनाव दौरान हुई घटनाएं दर्शाती है कि आम आदमी पार्टी को सता रहा था हार का डर
टाकिंग पंजाब
जालंधर। देश में साल 2024 में होने वाले लोकसभा का ट्रायल कहे जाने वाले जालंधर में हुए उप चुनाव में वोटरों का जोश ठंडा ही दिखाई दिया। इस चुनाव में 54 प्रतिशत के करीब मतदान हुआ जो कि सभी पार्टीयों की तरफ से लगाए गए जोर के मुताबिक कम आंका जा रहा है। आखिर इस चुनाव में लोगों का उत्साह क्यों देखने को नहीं मिला है ? पिछली बार के मुकाबले 09 प्रतिशत कम हुई वोटिंग आखिर क्या दर्शा रही है ? जिस चुनाव को जीतने के लिए कांग्रेस, आप, अकाली दल व भाजपा के दिग्गज मैदान में डटे रहे, उसके बाद भी वोट प्रतिशत कम होना कहीं लोगों के नेताओं में कम होते रूझान की तरफ इशारा तो नहीं कर रहा है। दूसरी तरफ इस चुनाव में आप की कार्यप्रणाली भी सवालों के घेरे में रही है। इसका कारण यह है कि जिस चुनाव को जितवाने के लिए आप सुप्रीमों अरविंद केजरीवाल, मुख्यमंत्री भगवंत मान से लेकर कईँ आप के मंत्री विधायक मैदान में उतरे रहे हों, वहां पर चुनावों में पोलिंग के लिए बाहरी लोगों को बुलाना पड़े, समझ से परे है। इस बारे में जब हमने आप के पुराने धाकड़ नेता रहे डॉ. संजीव शर्मा से जानना चाहा तो उन्होंने इसका कारण आम आदमी पार्टी का पुराने वंल्टियर की अंदेखी करना बताया। डॉ. संजीव शर्मा ने कहा कि आज जो खबरे आईं, वह पार्टी के लिए ठीक नहीं है। उन्होंने कहा कि आप के पोलिंग बूथों पर बाहरी शहरों से लाकर आप के ही कार्यक्रता बिठाए गए हैं, इस बात को साबित करता है कि आप के पास अब वलंटियर की कमी हो गई है। बूथ पर बैठने वाले बाहरी शहरों के थे व उनके पोलिंग बूथ के कार्ड तक बनाए गए थे, जो कि इस बात की तरफ इशारा करता है कि बूथ लेवल पर भी गड़बडी हुई है। आम आदमी पार्टी ने पुराने वलंटियर जो कि पार्टी की शुरूआत में ही पार्टी के साथ जुड़ गए थे, की परवाह नहीं की, जिसके कारण आज जालंधर से ही 500 के करीब वलंटियर घर पर बैठा हुआ है। हाल यह है कि आप के पास कैडर ही नहीं है। दूसरी तरफ बाहरी शहरों के कार्यक्रताओं के अलावा बाहरी शहरों के विधायकों का जालंधर में आकर चुनावी माहौल खराब करने के सवाल पर उन्होंने कहा कि यह इस बात को दर्शाता है कि आम आदमी पार्टी को कहीं हार का डर सता रहा है। वह किसी भी तरह से साम-दाम-ढंड-भेद करके यह चुनाव जीतना चाहती है। मगर जिस तरह से जालंधर की जनता ने बाहरी शहरों से आए आप कार्यक्रताओं व विधायकों का विरोध किया है, इससे साबित होता है कि जालंधर की जनता को बहलाना व फुसलाना आसान नहीं है। उन्होंने कहा कि अब शाहकोट का वाक्य ही ले लीजिए कि एक जनता के चुने हुए विधायक पर दूसरे शहर से आकर मतदाताओं को प्रभावित करने के आरोप लग रहे हैं। उन्होंने कहा कि जालंधर की जनता अब सब समझ गई है व जिस तरह से संगरूर की जनता इनकी बातों में नहीं आई थी, उसी तरह जालंधर की जनता भी इनकी बातों में नहीं आई है। उन्होने कहा कि संगरूर में हुआ उप चुनाव व अब जालंधर में हुआ यह उप चुनाव पंजाब की सियासत का रूख बदलेंगे।