अहम की लड़ाई में मासूम लोगों के खून से लथपथ हुए रूस व यूक्रेन के कईं शहर

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कईं अस्पतालों का हाल बेहाल.. अस्पताल में न दवाएं हैं, न ही कोई सुध लेने वाला.. घर छोड़कर जा रहे हैं लोग, बोले हमें सेना पर भरोसा नहीं
टाकिंग पंजाब
मास्को। रूस व यूक्रेन के बीच चल रहा युद्द खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। इस युद्द में जहां दोनों देशों का अर्थित रूप से नुक्सान हो रहा है, वहीं इस युद्द में आम जनता की जान-माल का काफी नुक्सान हो रहा है। हालात यह है कि दोनों देशों के लोग देश छोड़कर जाने को मजबूर हो गए हैं, लेकिन अहम की आग में जल रहेे यह दोनों देशो के रहनुमाओं को लोगों का दुख दर्द दिखाई नहीं दे रहा है। उनको तो बस अपने अहम को शांत करना है, चाहे इसके बदले कईं मासूम लोगों की जाने ही क्यों न चलीं जाएं। मंगलवार को भी रूस ने यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की के गृह नगर में हमला किया, जिसमें 6 लोगों की मौत हो गई।
   उधर इस हमले के बाद यूक्रेन कहां चुप रहने वाला था, उसने भी पलटवार करते हुए रूस के सीमाई इलाकों में हमला किया। इन दोनों देशों की हालत लगभग एक जैसी ही है। दोनों देशों में वैसा ही दर्द व बेचैनी हैं, लेकिन दोनों देशों के हुक्मरान युद्द खत्म करना नहीं चाहते हैं। इन दोनों देशों के कईं शहरों में लोगों का पलायन हुआ है। शेबेकिनो सीमा के कस्बों के अस्पतालों का हाल भी बेहाल है। अस्पताल में न दवाएं हैं, न कोई सुध लेने वाला है। हालात यह हैं ​कि रूस में हमले वाली जगहों से लोग अपने घर छोड़कर जा रहे हैं व कह रहे हैं कि उन्हें भरोसा नहीं है कि रूसी सैनिक हमारी रक्षा कर भी पाएंगे या नहीं। ऐसे सैकड़ों लोग हैं, जिन्हें जवानों पर भरोसा नहीं है।
   यूक्रेन के हमलों से रूस की सीमा वाले इलाकों में एक दर्जन से अधिक नागरिकों की जान जा चुकी है। उधर अगर रूस के राष्ट्रपति पुतिन की बात करें तो वह युद्द में मर रहे लोगों व उनके परिजनों में देश भक्ति का जज्बा जगाने में लगे हैं। छोटे से यूक्रेन को हराने में अपनी पूरी ताकत लगाकर थक चुके रूस के राष्ट्रपति पुतिन के लिए स्थिति चुनौतीपूर्ण बन रही है। अब पुतिन लोगों का समर्थन पाने के लिए लोगों से युद्ध में साथ देने की अपील की है। उन्होंने कहा कि यह कठिन समय है। इन हालात में रूस के लोग देशभक्ति दिखाएं। विशेष सैन्य अभियान में तैनात हमारे नायकों के लिए साथ खड़े होने का वक्त है।
    अब देखा जाए तो जिन लोगो के घर टूट चुकें हों, बच्चे अनाथ हो गए हों, खाने पीने को कुछ न हो व हर समय सिर पर मौत मंडरा रही हो तो वह लोग इस युद्द में पुतिन का साथ कैसे देंगे, जबकि यह युद्द एक देश से दूसरे देश से नहीं, बल्कि अहम का युद्द हो। अभी भी इन दोनों के देशों के हुक्मरानों को यह समझने की जरूरत है कि युद्द किसी भी समस्या का हल नहीं है। इसमें सिर्फ व सिर्फ नुक्सान ही होता है ओर वह नुक्सान मासूम जनता का ज्यादा है। मात्र अपने अहम को शांत करने के लिए मासूम लोगों की जान से खेलना कहां तक सही है ?। दोनों देशों के शीर्ष नेताओं को युद्द के कारण होने वाले लोगों के दर्द को समझना चाहिए व किसी भी हालत में इस युद्द को विराम देना चाहिए।

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