एनआईए ने किया दावा… बिश्नोई के पास वर्तमान में 600 से 700 से अधिक शूटरों का विशाल नेटवर्क
टाकिंग पंजाब
नई दिल्ली। पंजाबी सिंगर सिद्धू मूसेवाला की हत्या करवाने, सलमान खान को मारने की धमकी देने के अलावा जाने कितनी वारदातों को अंजाम देने वाले गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई अपना गैंग दाऊद इब्राहिम की तरह चला रहा है। यह दावा किसी ओर ने नहीं, बल्कि एनआईए ने किया है। लगभग उम्र 31 साल के इस गैगस्टर पर हत्या, अपहरण व लूटपाट के करीब 50 मुकदमे दर्ज हैं। हालांकि लारेंस को कविता लिखना व किताबें पढ़ना भी अच्छा लगता है। कहा जाता है कि वो जब भी कोई वारदात करता है तो सोशल मीडिया पर उसकी मुनादी करवा देता है। कहा जाता है कि उसके गैंग में 700 शूटर हैं। वह खुद तो सालों से जेल में बंद है, लेकिन उसका गैंग देश के जिस हिस्से में जब चाहे वारदात को अंजाम दे सकता है।
लॉरेंस के अलावा देश भर में इन दिनों लॉरेंस बिश्नोई का गैंगस्टर भाई अनमोल बिश्नोई जमकर सुर्खियां बटोर रहा है। गैंगस्टर अनमोल बिश्नोई ने बीते महीने दिल्ली के एक बिजनेसमैन को 5 करोड़ की फिरौती की कॉल की थी। इस फोन कॉल में अनमोल कह रहा है कि फोन उठा ले उसमे ही तेरा फायदा रहेगा, नहीं तो अपना भी नुकसान कराएगा। फोन कर, बात कर काम कर कोई दिक्कत नही है, नही करेगा तो तेरी मर्जी। कोई शक तो वीडियो कॉल कर ले। देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी एनआईए यानी राष्ट्रीय जांच एजेंसी कहती है कि वो दाऊद इब्राहिम जैसा है। एनआईए ने अपने आरोप पत्र में कहा है कि जिस तरह से 1990 के दशक में दाऊद इब्राहिम ने देश में अपना नेटवर्क बनाया था ठीक उसी तर्ज पर गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई भी अपने आतंकी नेटवर्क का विस्तार कर रहा है। उसमें और दाऊद इब्राहिम में कई समानताएं हैं। चलिए गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई की क्राइम फाइल पर एक नजर दौड़ाते हैं।
1 – कौन हैं लॉरेंस बिश्नोई ? यह संयोग है कि दाऊद इब्राहिम व लॉरेंस बिश्नोई के पिता पुलिस कांस्टेबल रहे हैं। लॉरेंस का जन्म 12 फरवरी 1993 को पंजाब के फिरोजपुर में हुआ। लॉरेंस के पिता का नाम लविंदर बिश्नोई व माता का नाम सुनीता बिश्नोई है। उसका एक भाई भी है जिसका नाम है अनमोल बिश्नोई है। वह पेशे से बॉक्सर है। लॉरेंस के क्राइम की कहानी शुरू होती है डीएवी कॉलेज चंडीगढ़ से, जहां उसने स्टूडेंट ऑर्गनाइजेशन ऑफ पंजाब यूनिवर्सिटी यानी के बैनर तले छात्र यूनियन का चुनाव लड़ा। चुनाव में उसे हार मिली व उसे अपनी हार बर्दाश्त नहीं हुई। मामला इतना बिगड़ा की फायरिंग की नौबत आ गई। पुलिस ने लॉरेंस को पकड़ लिया व हाहात ऐसे बन गए कि उसे परीक्षा देने के लिए कॉलेज मे हथकड़ी पहन कर आना पड़ा। बस, यहीं से उसके क्राइम लाइफ की शुरूआत हुई।
2 – पुलिस को चकमा देकर फरार हो गया था लॉरेंस – मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक लॉरेंस को अपनी हार बर्दाशत नहीं हुई और फरवरी 2011 में उसने अपने साथी छात्रनेता के ऊपर हमला किया, तो उसके ऊपर हत्या की कोशिश का मामला दर्ज हुआ। जेल जाने के बाद, वो जमानत पर रिहा हो गया था। इसके बाद फिर उसे प्वाइंट 5 बोर की पिस्टल और कारतूस के साथ गिरफ्तार किया गया। इसके बाद 12 अगस्त 2012 को लॉरेंस के खिलााफ हत्या की कोशिश, दंगा करने और कई और धाराओं में केस दर्ज किया गया था। लॉरेंस हत्या, लूट, रंगदारी वसूलने जैसे अपराध करता रहा। जेल जाता रहा व जमानत पर रिहा होता रहा। 17 जनवरी 2015 को जब पंजाब की खरड़ पुलिस उसे कोर्ट में पेशी के लिए लेकर जा रही थी, तो वो पुलिस को चकमा देकर फरार हो गया था, लेकिन 4 मार्च 2015 को वो फाजिल्का पुलिस के हत्थे चढ़ गया। लॉरेन्स जेल में रह कर भी अपना नेटवर्क चलाता रहा व हत्याओं में उसका नाम आता रहा।
4- लॉरेंस ने एक्सटोर्शन के जरिए कमाए करोड़ों रुपए – साल 2019 से लेकर 2021 तक जेल में बंद लॉरेंस ने करोड़ों रुपए एक्सटोर्शन के जरिए कमाए और फिर इन पैसों को हवाला के जरिए विदेश में बैठे अपने साथियों गोल्डी बराड़, काला राणा और मनीष भंडारी के पास भेज दिया। एनआईए रिपोर्ट में यह भी खुलासा हुआ है कि कभी सिर्फ पंजाब तक सीमित यह गैंग अब उत्तर प्रदेश, हरियाणा, महाराष्ट्र, दिल्ली, राजस्थान और झारखंड जैसे राज्यों में भी फैल चुका है। एनआईए ने आरोप पत्र में कहा कि लॉरेंस बिश्नोई के पास वर्तमान में 600 से 700 से अधिक शूटरों का एक विशाल नेटवर्क है। इसमें से 300 शूटर पंजाब से हैं व इस गिरोह ने वर्ष 2022 तक करोड़ों रुपये कमा लिए थे। कहा जाता है कि लॉरेंस का फॉर्मूला है दुश्मन के दुश्मनों को अपना दोस्त बनाना।
5 – गोल्डी बराड़ कंपनी की रीढ़ की हड्डी – मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि लॉरेंस इस क्राइम कंपनी में मास्टर ब्रेन है तो उसका कॉलेज का दोस्त गोल्डी बराड़ कंपनी की रीढ़ की हड्डी है। लारेंस का भांजा सचिन बिश्नोई कंपनी का भर्ती सेल और टारगेट प्लान का प्रमुख है, जो फिलहाल फरार है। जबकि ऑस्ट्रिया से अनमोल और कनाडा से विक्रम बराड़ कंपनी की फाइनेंस डील को संभालते हैं। इस क्राइम कंपनी मे हर टारगेट से जुड़ा शख्स केवल अपने आगे वाले एक शख्स को जानता है। इसके अलावा एक ऑपरेशन में जितने भी बंदे गैंग से जुड़े होते हैं, उन्हें बाकी गैंग मेम्बर के बारे में कोई भी जानकारी नहीं रहती। इसी वजह से वे क्राइम को अंजाम देते हैं लेकिन मुश्किल से ही पकड़ में आते हैं।