आप व उद्धव ठाकरे ने दिया यूसीसी को समर्थन.. फारूक अब्दुल्ला बोले.. तूफान आ सकता है, विचार कर ले सरकार

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असदुद्दीन आवैसी ने यूसीसी पर बहस छेड़ने को दिया साजिश करार.. सांसद शशि थरूर बोले, प्रधानमंत्री नेहरू ने कहा था, यूसीसी होना चाहिए

टाकिंग पंजाब
नईं दिल्ली। देश में यूनिफॉर्म सिविल कोड को लागू करने की मांग लगातार बढ़ रही है। इस मांग को लेकर लोग अपनी राय दे रहेे हैं। कुछ लोग इसके खिलाफ हैं लेेकिन ज्यादातर लोग इस कोड के हक में नजर आ रहे हैं। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 27 जून को भोपाल में भाजपा के 10 लाख बूथ कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए देशभर में यूनिफॉर्म सिविल कोड जल्द लागू करने की वकालत की। प्रधानमंत्री ने कहा था कि यूनिफॉर्म सिविल कोड पर लोगों को भड़काया जा रहा है। एक घर दो कानूनों से नहीं चल सकता। प्रधानमंत्री की इस बयान के बाद से ही इस कोड को लागू करने की कवायाद शुरू कर दी गई है।
    इसको लागू करने को लेकर कईं पार्टीयों ने अपना समर्थन दिया है तो कुछ एक ने धमकी भी दी है। इस कोड के लागू लागू करने को लेकर आम आदमी पार्टी व उद्धव ठाकरे गुट की शिवसेना ने समर्थन किया है। वहीं दूसरी तरफ नेशनल कॉन्फ्रेंस लीडर फारूक अब्दुल्ला ने तो बातों बातों में सरकार को धमकी दे डाली है। फारूक अब्दुल्ला का कहना है कि सरकार को यूसीसी लागू करने के नतीजों पर बार-बार विचार कर लेना चाहिए। फारूक अब्दुल्ला का कहना है कि सरकार यूसीसी पर ज्यादा जोर ना डाले। इसे लागू करने के परिणामों पर बार-बार विचार कर ले। देश विभिन्नताओं से भरा है व यहां अलग धर्मों-जातियों के लोग रहते हैं। मुस्लिमों का अपना अलग शरीयत कानून है व इस पर सरकार सोच ले, तूफान आ सकता है
    उद्धव गुट की शिवसेना के अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने कहा कि हम यूसीसी का समर्थन करते हैं, लेकिन हम सरकार से स्पष्टीकरण भी चाहते हैं। हम चाहते हैं कि सरकार बताए की इसका विभिन्न समुदायों पर क्या असर पड़ सकता है। साथ ही यूसीसी पर अब चर्चा शुरू करने के पीछे मोदी सरकार का मकसद साफ नहीं है। इस मामले में आप के राज्यसभा सांसद संदीप पाठक का कहना है कि हम यूसीसी का समर्थन इसलिए कर रहे हैं ​क्योंकि आर्टिकल 44 भी कहता है कि देश में यूसीसी होना चाहिए। हालांकि, इस पर सभी धर्म के लोगों, राजनीतिक पार्टियों व संगठनों से सलाह कर आम सहमति बनाई जानी चाहिए। ये मुद्दा सभी धर्म संप्रदाय से जुड़ा है, इसलिए स्टेक होल्डर्स से आम सहमति बनानी चाहिए। सभी की सहमति से ही इस कानून को लागू करना चाहिए। इन नेताओं के अलावा असदुद्दीन आवैसी ने यूसीसी पर बहस छेड़ने को ही साजिश करार दे दिया है। उनका कहना था कि भाजपा मुख्य मुद्दों से जनता का ध्यान भटकाने की कोशिश कर रही है।
  इसके अलावा कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने कहा कि जहां तक यूनिफॉर्म सिविल कोड का सवाल है, प्रधानमंत्री नेहरू ने कहा था कि यूसीसी होना चाहिए, लेकिन हमें सभी को साथ लेकर चलना होगा। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने माननीय प्रधानमंत्री ने समान नागरिक संहिता (यूसीसी) की वकालत करते हुए राष्ट्र को परिवार के बराबर बताया है। सामान्य रूप से देखने पर ये तुलना सही लग सकती है, लेकिन वास्तविकता बहुत अलग है। उन्होंने कहा, प्रधानमंत्री का यूसीसी के पक्ष में मजबूती से बोलने का उद्येश्य मुद्रास्फीति, बेरोजगारी, हेट क्राइम, भेदभाव और राज्यों के अधिकारियों को नकारने से ध्यान भटकाना है। उधर डीएमके के एमके स्टालिन ने पीएम मोदी पर सांप्रदायिक भावनाओं को भड़काकर 2024 के चुनाव जीतने का आरोप लगा दिया है। उनका कहना है कि मोदीर देश में भ्रम पैदा करके 2024 का लोकसभा चुनाव जीतने की सोच रहे हैं। इनके अलावा राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी यानि कि एनसीपी ने ना ही हां कहा है व न ही अभी तक ना कहा है।
    इस कोड को लागू होने से रोकने के लिए मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने हाल ही में मीटिंग भी बुलाई थी। लगभग 3 घंटे तक चली मीटिंग में बोर्ड ने इस यूसीसी प्रस्तावित कानून का विरोध करने का फैसला किया। इस्लामिक सेंटर ऑफ इंडिया के अध्यक्ष मौलाना ख़ालिद रशीद फरंगी महली ने इस पर कहा कि हमने एक ड्राफ्ट तैयार किया है, जिसमें शरीयत कानूनों का जिक्र है। इसे जल्द ही लॉ कमीशन को भेजा जाएगा। उधर लॉ कमीशन के चेयरमैन जस्टिस ऋतुराज अवस्थी का कहना है कि यूसीसी के लिए हमने कंसल्टेशन प्रोसेस भी शुरू कर दी है, जिसमें जनता की राय मांगी है। कमीशन को यूनिफॉर्म सिविल कोड का नोटिफिकेशन जारी करने से लेकर अब तक 8.5 लाख रिस्पॉन्स भी मिल चुके हैं। इस मुद्दे पर बहस व अलग अलग राजनीतिक पार्टीयों की राय अभी जारी है।

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