चांद पर भारत का यह तीसरा मिशन… चंद्रयान-3 मिशन में इसरो के एक हजार से ज्यादा वैज्ञानिकों ने किया काम…
टाकिंग पंजाब
नई दिल्ली। चांद पर कुछ वैज्ञानिक प्रयोग करने व चांद की सतह पर सेफ लैंडिंग की क्षमता का प्रदर्शन करने के उद्देश्य के साथ इसरो ने भारत का तीसरा मून मिशन चंद्रयान-3 दोपहर 2 बजकर 35 मिनट पर आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर से सफलतापूर्वक लॉन्च किया गया। चंद्रयान-3 मिशन सबसे अलग व खास है क्योंकि अब तक जितने भी देशों ने अपने यान चंद्रमा पर भेजे हैं उनकी लैंडिग उत्तरी ध्रुव पर हुई है जबकि चंद्रयान-3 चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने वाला पहला यान होगा। चंद्रयान-3 मिशन साल 2019 में किए गए चंद्रयान-2 मिशन का फॉलोअप मिशन है। इस मिशन में लैंडर की सॉफ्ट लैंडिंग और रोवर को सतह पर चलाकर देखा जाएगा, जिसके जरिए जानकारी जुटाई जाएगी।
चंद्रयान-3 का उद्देश्य चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग कराने का है। साथ ही इस मिशन का मकसद चांद पर इसरो द्वारा तैयार रोवर के प्रदर्शन को देखना भी है। वहां चहलकदमी करके यह साबित करना है कि इसरो व भारत, चांद पर कोई भी मिशन भेजने में समक्ष हैं। चंद्रयान-3 मिशन में स्वेदशी लैंडर, प्रोपल्शन मॉड्यूल और रोवर शामिल हैं। चांद पर यह भारत का तीसरा मिशन है। चंद्रयान-3 मिशन में इसरो के एक हजार से ज्यादा वैज्ञानिकों ने काम किया है। इसमें प्रोपल्शन मोड्यूल के साथ विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर भी शामिल हैं। इसरो चंद्रयान-3 मिशन की मदद से चांद से जुड़ी कई अहम जानकारियां इकट्ठा करने की कोशिश में जुटा है।
चंद्रयान-3 40 दिनों में 3.80 लाख किमी का सफर तय कर चांद पर पहुंचेगा। इसे चांद तक पहुंचने में महीनेभर से ज्यादा का समय लगेगा। उम्मीद है कि 23 या 24 अगस्त को ये चांद की सतह पर लैंड कर सकता है। जहां, चंद्रयान-1 मिशन में 386 करोड़ रुपये का खर्च आया था व चंद्रयान-2 मिशन में 978 करोड़ रुपये की लागत आई थी, वहीं, चंद्रयान-3 मिशन काफी किफायती है, जिसमें लागत 615 करोड़ रुपये है। चंद्रयान-3 का वजन की बात करें तो लैंडर मॉड्यूल का वजन 1.7 टन है। प्रोपल्शन का वजन करीब 2.2 टन है व लैंडर में रखा रोवर 26 किलोग्राम का है। बता दें कि इससे पहले सितंबर 2019 में चंद्रयान-2 मिशन के दौरान लैंडर ‘विक्रम’ चांद की सतह पर दुर्घटनाग्रस्त हो गया था, जो भारत के लिए बड़ा झटका था। चंद्रयान-2 को 22 जुलाई को लॉन्च किया गया था, लेकिन 6-7 सितंबर को विक्रम लैंडर की क्रैश लैंडिंग हो गई थी। चांद पर यान उतारने की इसरो की पहली कोशिश नाकाम हो गई थी। इसरो चंद्रयान-3 को चांद के दक्षिणी ध्रुव पर लैंड कराने की कोशिश करेगा व सफल लैंडिंग होने के बाद लैंडर चांद पर रोवर को तैनात करेगा। इस मिशन के लिए भारत का सबसे भारी रॉकेट एलवीएम 3 का इस्तेमाल किया जा रहा है। चंद्रयान- 3 के चांद की सतह पर उतरते ही भारत ऐसा करने वाले विश्व के चार देश की सूची में शामिल हो जाएगा।