एसोसिएशन के अध्यक्ष नीरज अरोड़ा ने कहा.. 30 रुपये लेकर 120 रुपये तक की चप्पल बनाने वाले कैसे करा पाएंगे रजिस्ट्रेशन
टाकिंग पंजाब
जालंधर। सरकार की तरफ से रबड़ फुटवियर मैन्युफैक्चरिंग इकाइयों के लिए ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड (बीआईएस) की रजिस्ट्रेशन को लाजमी बनाया जा रहा है। इतना ही नहीं, जुलाई माह से रबड़ फुटवियर मैन्युफैक्चरिंग इकाइयों के लिए बीआईएस जरूरी किया जा रहा है। इस बारे में रबड़ फुटवियर मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन का कहना है कि ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड के नए नियम से इंडस्ट्री पूर्ण रुप से तबाह हो जाएगी। रबड़ फुटवियर मैन्युफैक्चरिंग में लगे उद्यमियों का कहना है कि सरकार की तरफ से जरूरी बनाई जा रही बीआईएस की शर्त इंडस्ट्री को तबाह कर देगी। रबड़ फुटवियर मैन्युफैक्चरिंग एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने प्रेस वार्ता राही केंद्र सरकार से अपील की है कि इस नियम को समाप्त किया जाए। प्रेस वार्ता में अध्यक्ष नीरज अरोड़ा ने कहा कि रबड़ चप्पल मैन्युफैक्चरिंग में छोटी इकाइयां कार्यरत हैं और घरों में भी रबड़ चप्पल बनाने में जुटे कई परिवार अपनी रोटी चला रहे हैं। ऐसे लोगों के लिए बीआईएस की रजिस्ट्रेशन संभव ही नहीं है। यहां तक कि रबड़ फुटवियर मैन्युफैक्चरिंग करने वाली बड़ी फैक्ट्रीयों के संचालक भी बीआईएस नहीं ले सकते हैं, क्योंकि इसमें खर्च भी करना पड़ेगा और यह प्रक्रिया बेहद पेचीदा भी है। उन्होंने कहा कि हमारी इंडस्ट्री 30 रुपये लेकर 120 रुपये तक की चप्पल तैयार करती है, जिसके लिए बीआईएस मापदंड पूरे नहीं हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि रबड़ फुटवियर मैन्युफैक्चरिंग इंडस्ट्री अधिकतर छोटी इकाइयों में है। लोग छोटी-छोटी इकाइयां शुरू करके अपनी रोटी चला रहे हैं। यहां तक कि जो लोग छोटी इकाइयों का संचालन करते हैं, उन्हें तो बीआईएस के बारे में जानकारी तक नहीं है। उनके पास तो इतना पैसा भी नहीं है कि किसी प्रोफेशनल की सेवाएं लेकर बीआईएस ले सकें। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को इंडस्ट्री की मांग की तरफ गंभीरता से ध्यान देना चाहिए व इस नियम को वापिस ले लेना चाहिए, नहीं तो कई छोटी बड़ी इंडस्ट्री बंद हो जायेंगी।