कल यानि दो सितंबर को सुबह करीब 11.50 बजे आदित्य-एल-1 को कर दिया जाएगा लॉन्च
टाकिंग पंजाब
नई दिल्ली। चाँद फ़तेह करने के बाद अब इसरो सूर्य मिशन की तरफ बढ़ रहा है। इसरो का सूर्य मिशन आदित्य-एल1 लॉन्चिंग के लिए तैयार है। लॉन्चिंग की लगभग सभी तैयारियां पूरी हो चुकी हैं और अगर सब कुछ सही रहा तो शनिवार यानी दो सितंबर को सुबह करीब 11.50 बजे आदित्य-एल-1 को लॉन्च कर दिया जाएगा। भारत के पहले सौर मिशन की लॉन्चिंग से पहले इसरो के वैज्ञानिकों ने भगवान वेंकटेश्वर के दर्शन कर उनका आशीर्वाद लिया।
इसरो के वैज्ञानिकों की एक टीम शुक्रवार को आदित्य-एल-1 के एक छोटे मॉडल के साथ आंध्र प्रदेश स्थित तिरुमाला श्री वेंकटेश्वर मंदिर दर्शन करने पहुंचे। आदित्य-एल-1 को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्पेस पोर्ट से लॉन्च किया जाएगा। आदित्य एल1 भारत का पहला सोलर मिशन है, जिसे पीएसएलवी-सी57 से अंतरिक्ष में भेजा जाएगा। इस मिशन के साथ सात पेलोड भी भेजे जाएंगे जो सूरज का अध्ययन करेंगे। चार पेलोड सूरज से आने वाली रोशनी का अध्ययन करेंगे, वहीं बाकी तीन इन सिचुएशन पैरामीटर पर प्लाज्मा और चंबकीय क्षेत्रों का अध्ययन करेंगे। आदित्य एल1 पर सबसे अहम पेलोड विजिबल एमिशन लाइन कोरोनाग्राफ या वीइएलसी है। इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स द्वारा इसे टेस्ट और कैलिब्रेट किया गया है।
आदित्य एल1 को लैग्रेजियन पॉइंट 1 के होलो ऑर्बिट में स्थापित किया जाएगा। यह पॉइंट पृथ्वी से करीब 15 लाख किलोमीटर दूर है और यहां से बिना किसी परेशानी के सूरज पर नजर रखी जा सकती है। आदित्य एल-1 को पृथ्वी और सूर्य के बीच मौजूद इस लैग्रेजियन पॉइंट पर पहुंचने में करीब चार महीने का वक्त लगेगा। सूरज की गतिविधियों के अंतरिक्ष के मौसम पर पड़ने वाले असर का भी अध्ययन किया जाएगा। आदित्य-एल1 अंतरिक्ष यान को सौर कोरोना (सूर्य की सबसे बाहरी परत) के दूरस्थ अवलोकन और एल1 (सूर्य-पृथ्वी लैग्रेंज बिंदु) पर सौर वायु के यथास्थान अवलोकन के लिए तैयार किया गया है। एल1 पृथ्वी से करीब 15 लाख किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
इसरो के अनुसार, वीईएलसी का लक्ष्य यह पता लगाने के लिए डेटा एकत्रित करना है कि कोरोना का तापमान लगभग दस लाख डिग्री तक कैसे पहुंच सकता है, जबकि सूर्य की सतह का तापमान 6000 डिग्री सेंटीग्रेड से थोड़ा अधिक रहता है। इसरो ने कहा कि एल1 बिंदु के चारों ओर प्रभामंडल कक्षा में स्थापित उपग्रह से सूर्य पर लगातार नजर रखने में बड़ा फायदा होगा और कोई भी ग्रह इसमें बाधा नहीं डालेगा। इससे वास्तविक समय में सौर गतिविधियों और अंतरिक्ष मौसम पर इसके प्रभाव को देखने का अधिक लाभ मिलेगा। विशेष सुविधाजनक बिंदु एल 1 का उपयोग करते हुए, चार पेलोड सीधे सूर्य का अवलोकन करेंगे और शेष तीन पेलोड द्वारा एल1 बिंदु पर कण और क्षेत्रों का यथास्थान अध्ययन किये जाने की उम्मीद है।