लोकसभा में पेश हुआ महिला आरक्षण बिल .. लेकिन नहीं हो पाऐगा 2024 में लागू

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बिल पास होने से लोकसभा में होंगी 180 महिलाएं, जबकि इस समय महिलाओं की संख्या है मात्र 78
टाकिंग पंजाब
नईं दिल्ली। गणेश चतुर्थी के दिन आज नए संसद भवन में संसद की कार्रवाई का शुभारंभ हो गया। पीएम नरेंद्र मोदी समेत सभी सांसद पुराने भवन से पैदल पहुंचे व दोपहर 1.15 बजे सदन के लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला ने कार्यवाही शुरू की। पीएम नरेंद्र मोदी ने नए भवन में अपने पहले संबोधन में महिला आरक्षण बिल लाने की बात कही। हालांकि लोकसभा में पेश 128वें संविधान संशोधन बिल यानी नारी शक्ति वंदन विधेयक के मुताबिक लोकसभा व राज्यों की विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत रिजर्वेंशन डिलिमिटेशन यानी परिसीमन के बाद ही लागू होगा।
  यह परिसीमन इस विधेयक के बाद होने वाली जनगणना के आधार पर ही होगा। आम चुनावों से पहले जनगणना और परिसीमन कराना लगभग असंभव है। इससे साफ है कि अगर विधानसभा और लोकसभा के चुनाव समय पर हुए तो इस बार आरक्षण लागू नहीं होगा। यानी यह 2029 के लोकसभा चुनाव या इससे पहले के कुछ विधानसभा चुनावों से लागू हो सकता है। मोदी सरकार इस बिल को लेकर आई है व अगर यह बिल पास हुआ तो लोकसभा में 180 महिलाएं होंगी जो कि अभी सिर्फ 78 हैं। इसमें महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण देने का प्रावधान है। यह बिल पास हुआ तो अगले लोकसभा चुनाव के बाद सदन में हर तीसरी सदस्य महिला होगी।
    राज्यसभा में यह 2010 में ही पास हो चुका है। हालांकि महिला आरक्षण के मुद्दे पर कांग्रेस ने श्रेय लेने की कोशिश की। कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी के बयान पर हंगामा भी हुआ। इसके कुछ देर बाद 2 बजकर 12 मिनट पर कानून मंत्री अर्जुन मेघवाल ने बिल को पेश कर दिया। उधर विपक्ष के सांसदों ने बिल की कॉपी को लेकर हंगामा किया। इनका कहना था कि उन्हें बिल की कॉपी नहीं मिली है, जबकि सरकार का कहना था कि बिल को अपलोड कर दिया गया है। इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि अभी चुनाव तो दूर हैं व जितना समय हमारे पास बचा है, मैं मानता हूं कि यहां जो जैसा व्यवहार करेगा, यह निर्धारित करेगा कि कौन यहां बैठेगा, कौन वहां बैठेगा।
     हमारा भाव जैसा होता है, वैसा ही घटित होता है, हमारा भाव जैसा होता है, वैसे ही कुछ घटित होता है। यद् भावं तद भवति…! मुझे विश्वास है कि भावना भीतर जो होगी, हम भी वैसे ही भीतर बनते जाएंगे। भवन बदला है, भाव भी बदलना चाहिए, भावनाएं भी बदलनी चाहिए। संसद राष्ट्रसेवा का स्थान है। यह दलहित के लिए नहीं है। उन्होंने कहा कि महिलाओं की भागीदारी को विस्तार देना है। नारी शक्ति वंदन अधिनियम इस माध्यम से हमारा लोकतंत्र और मजबूत होगा। मैं देश की माताओं, बहनों और बेटियों को नारी शक्ति वंदन अधिनियम के लिए बहुत-बहुत बधाई देता हूं। मैं सभी माताओं, बहनों, बेटियों को आश्वस्त करता हूं कि हम इस विधेयक को अमल में लाने के लिए संकल्पित हैं।
    दरअसल संसद में महिलाओं के आरक्षण का प्रस्ताव करीब 3 दशक से पेंडिंग है। बिल पर बहुत चर्चाएं हुई हैं, वाद-विवाद भी हुए। महिला आरक्षण को लेकर संसद में पहले भी कुछ प्रयास हुए हैं। यह मुद्दा पहली बार 1974 में महिलाओं की स्थिति का आकलन करने वाली समिति ने उठाया था। साल 1996 में इससे जुड़ा विधेयक पहली बार पेश हुआ व 2010 में मनमोहन सरकार ने राज्यसभा में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण बिल को बहुमत से पारित करा लिया था। तब सपा व राजद ने बिल का विरोध करते हुए तत्कालीन यूपीए सरकार से समर्थन वापस लेने की धमकी दे दी थी। इसके बाद बिल को लोकसभा में पेश नहीं किया गया था व तभी से महिला आरक्षण बिल पेंडिंग है।
  सपा और राजद महिला OBC के लिए अलग कोटे की मांग कर रही थीं। इस बिल को विरोध करने के पीछे सपा-राजद का तर्क था कि इससे संसद में केवल शहरी महिलाओं का ही प्रतिनिधित्व बढ़ेगा। दोनों पार्टियों की मांग है कि लोकसभा और राज्यसभा में मौजूदा रिजर्वेशन बिल में से एक तिहाई सीट का कोटा पिछड़े वर्गों और अनुसूचित जातियों की महिलाओं के लिए होना चाहिए। फिलहाल रिपोर्ट के मुताबिक यह आरक्षण लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में लागू होगा। बिल पास होने के बाद राष्ट्रपति के पास स्वीकृति के लिए जाएगा। कानून बनने के बाद होने वाले चुनावों में यह बिल लागू हो जाएगा।

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