केजरीवाल की गिरफ्तारी को लेकर उनकी पार्टी जनता के बीच में कितनी मजबूती से बात रखती है यह बेहद महत्वपूर्ण…
टाकिंग पंजाब
नई दिल्ली। आम आदमी पार्टी के सुप्रीमों व दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को ईडी ने गुरूवार देर शाम गिरफ्तार कर लिया। इस गिरफ्तारी के साथ सिर्फ दिल्ली ही नहीं बल्कि देश की राजनीति में सियासी तूफान मच गया। अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी के साथ सियासी गलियारों में चर्चा इस बात की हो रही है कि आने वाले लोकसभा चुनाव में उनकी पार्टी आम आदमी पार्टी का क्या अंजाम होगा। राजनीतिक विशेषज्ञो की मानें तो आम आदमी पार्टी अरविंद केजरीवाल की इस गिरफ्तारी को देश के अलग-अलग राज्यों की जनता के बीच में लेकर जाती है और अगर जनता उसे सहमत होती है तो गिरफ्तारी का सियासी माइलेज मिल सकता है। अगर पार्टी ऐसा करने में फेल होती है तो आम आदमी पार्टी को बड़ा सियासी नुकसान भी हो सकता है। हालांकि अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी के साथ ही विपक्षी दलों के नेताओं ने एकजुट होना शुरू कर दिया है। सूत्रों के अनुसार शुक्रवार यानि आज दोपहर को विपक्षी नेताओं के महत्वपूर्ण बैठक भी होने वाली है। मुख्यमंत्री केजरीवाल की गिरफ्तारी के साथ सबसे बड़ी चर्चा सियासत में इस बात की हो रही है अगर अरविंद केजरीवाल जेल जाते हैं तो आने वाले लोकसभा चुनाव में उनकी पार्टी की क्या स्थिति होगी। इस बारे में राजनीतिक विशेषज्ञों ने कहा कि कि बुधवार की रात को बनी परिस्थितियां सियासी लिहाज से आम आदमी पार्टी के लिए बहुत मुफीद तो बिल्कुल नहीं है क्योंकि आम आदमी पार्टी के कई प्रमुख नेता पहले से ही जेल में हैं। ऐसे में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी से उनकी पार्टी किसी ऐसी रणनीतियों पर असर पड़ना स्वाभाविक है। हालांकि यह स्थिति आम आदमी पार्टी के लिए राजनीतिक माइलेज वाली भी हो सकती है। इतना ही नहीं, विशेषज्ञों का कहना है कि अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी को लेकर उनकी पार्टी जनता के बीच में कितनी मजबूती से बात रखती है यह बेहद महत्वपूर्ण हो जाता है। अगर आम आदमी पार्टी इस मुद्दे को देश की जनता के बीच मजबूती से रखती है तो यह सियासी तौर पर आम आदमी पार्टी के लिए एक माइलेज भी दे सकता है। इसके अलावा यही मुद्दा भारतीय जनता पार्टी के लिए सियासी तौर पर लागू होता है। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि इस पूरे मामले में आम आदमी पार्टी भारतीय जनता पार्टी को जमकर घेरेगी। इसलिए भारतीय जनता पार्टी को भी अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी का जवाब देने के लिए मजबूती से तर्कों के साथ सियासी मैदान में जुटना ही होगा। हालांकि इस पूरे मामले में सरकारी एजेंसी की ओर से गिरफ्तारी की गई है। लेकिन आम आदमी पार्टी से लेकर पूरा विपक्ष सरकारी एजेंसियों के दुरुपयोग को लेकर भारतीय जनता पार्टी को निशाने पर लेता रहा है। ऐसे में सियासी तौर पर नफा नुकसान की राजनीति का ग्राउंड आम आदमी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी दोनों के लिए बन रहा है इसलिए अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी से आम आदमी पार्टी की सियासी रणनीति तो जरूर गड़बड़ाई है। लेकिन आम आदमी पार्टी के राजनीतिक रणनीतिकार निश्चित तौर पर उनकी गिरफ्तारी के बाद पार्टी के सियासी भविष्य को लेकर नई रणनीति बना चुके होंगे। सियासी जानकारों की माने तो इस मामले में जिस तरीके से कांग्रेस की नेता प्रियंका गांधी ने त्वरित टिप्पणी के साथ आम आदमी पार्टी का साथ दिया है उससे आने वाले दिनों में सियासत की आंच का अंदाजा लगाया जा सकता है। वहीं दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी के साथ सियासत में कई तरह के और सवाल भी खड़े होने शुरू हो गए हैं। एक और महत्वपूर्ण सवाल तो यही है कि क्या दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल इस्तीफा देते हैं। अगर इस्तीफा देते हैं तो उनकी अनुपस्थिति में दिल्ली का कौन मुख्यमंत्री होगा। हालांकि गिरफ्तारी के कुछ घंटे बाद तक की चर्चाओं में यही सामने आ रहा है कि अरविंद केजरीवाल इस्तीफा नहीं देंगे। लेकिन सियासी गलियारों में अरविंद केजरीवाल की अनुपस्थिति में उनकी पत्नी सुनीता केजरीवाल का नाम बतौर मुख्यमंत्री सामने आ रहा है। हालांकि राजनीतिक जानकारों का कहना है कि अगर ऐसी स्थिति आती भी है तो सुनीता केजरीवाल की जगह पर उनकी ही पार्टी के कुछ अन्य नेताओं के नाम सामने रखे जा सकते हैं जिसमें उनकी कैबिनेट की मंत्री आतिशी का नाम भी आगे चल रहा है।