अग्निपथ’ के ऐलान के बाद ‘अग्निपथ’ पर कईं राज्यों के युवा

आज की ताजा खबर पॉलिटिक्स

अग्निपथ’ के ऐलान के बाद ‘अग्निपथ’ पर कईं राज्यों के युवा

 7 राज्य में जल रही आग कीं भेंट चड़ गई 8 ट्रेने, आयु सीमा बढाने के बाद भी नहीं थम रहा नौजवानों का गुस्सा 

टाकिंग पंजाब

बिहार। जब से केंद्र सरकार ने सेना भर्ती योजना ‘अग्निपथ’ के ऐलान किया है, तब से ही कईं राज्यों के हजारों युवा ‘अग्निपथ’ पर चल पड़े हैं। इस ‘अग्निपथ’ भर्ती योजना के विरोध में कई राज्यों में युवाओं ने ट्रेनों को अग्नि के हवाले कर दिया, जिसके चलते तीन दिनों से 7 राज्य विरोध की आग जल रहे हैं। इस ‘अग्निपथ’ के ​विरोध में यूपी, बिहार, मध्यप्रदेश, राजस्थान समेत 7 राज्यों में प्रदर्शन हो रहे हैं। हालांकि विरोध को देखते हुए सरकार ने गुरुवार देर रात अग्निपथ स्कीम की आयु सीमा पहले साल के लिए 21 साल से बढ़ाकर 23 साल कर दी है, लेकिन इसके अलावा भी कईं सवाल हैं, जिसका जवाब मिलना बाकी है।

 सात राज्यों में क्या वजह है अग्निपथ स्कीम के विरोध की ?

इस स्कीम से नौजवानों को 4 साल की तैयारी के बाद 4 साल की नौकरी व फिर बेरोजगारी मिल सकती है। अग्निवीरों की बिल्ले, बैज व चिह्न समेत रैंक भी अलग होगा। युवाओं को डर है कि इससे भेदभाव बढ़ेगा व जिन 25 प्रतिशत अग्निवीरों को आगे 15 साल के चुना जाएगा उसका भी कोई साफ पारदर्शी तरीका नहीं है।

 अग्निपथ की आग में सबसे ज्यादा झुलस रहे हैं यूपी व बिहार

अग्निपथ की आग देश के 7 राज्यों में दहक रही है व इन 7 राज्यों में सबसे ज्यादा यूपी व बिहार झुलस रहे हैं। इसका मुख्य कारण यह है कि सेना के जवान काफी हद तक या तो यूपी से आते हैं या तो बिहार से। इस बारे में 2021 को केंद्र सरकार ने राज्यसभा में भी बताया था कि तीनों सेनाओं में 13.40 लाख से ज्यादा जवान हैं। आर्मी में 11.21 लाख, एयरफोर्स में 1.47 लाख और नेवी में 84 हजार जवान और अफसर हैं। इनमें सबसे ज्यादा 2.18 लाख से ज्यादा जवान यूपी से आते हैं व दूसरे नंबर पर बिहार से 1.04 लाख जवान आते हैं। यही सबसे बड़ी वजह है कि अग्निपथ योजना का बिहार में सबसे तीखा और हिंसक विरोध हो रहा है।

2020-21 में होनी थीं 97 रैली, लेकिन हो पाईं सिर्फ 47

देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने राज्यसभा में इस साल अप्रैल में बताया था कि देश भर में हर साल आर्मी की औसतन 90 से 100 भर्ती रैली होती हैं। साल 2020-21 में 97 रैली होनी थीं, लेकिन सिर्फ 47 ही हो पाईं। सबसे बड़ी बात यह रही कि 2021-22 में 87 रैली की प्लानिंग हुईं व सिर्फ 4 रैली ही हो सकी। आंकड़ों के मुताबिक 90 से 100 भर्ती रैलियों के जरिए हर साल करीब 60 हजार जवानों की भर्ती होती है। इनमें से करीब 40 प्रतिशत रैलियां यूपी, बिहार, राजस्थान, हरियाणा व हिमाचल प्रदेश में होती हैं। हर रैली में 1 से 1.5 लाख नौजवान हिस्सा लेते हैं। इस युवा आबादी का एक बड़ा हिस्सा अग्निपथ योजना का जबरदस्त विरोध कर रहा है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *