महाराष्ट्र में शिवसेना सरकार पर छाए संकट के बादल, गिर सकती है ठाक​रे सरकार

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एकनाथ शिंदे 26 विधायकों के साथ गुजरात ​रवाना

टाकिंग पंजाब

महाराष्ट्र। शिवसेना सरकार पर संकट के बादल छा गए हैं। सूत्रों के अनुसार राज्य के कद्दावर मंत्री एकनाथ शिंदे शिवसेना में लगातार हो रही उपेक्षा से नाराज हैं व अब वह 26 विधायकों के साथ गुजरात चले गए हैं जिसमें शिवसेना के 16 विधायक शामिल हैं, जबकि निर्दलीय व छोटी पार्टियों के 10 विधायक शामिल हैं। कहा जा रहा है कि वे सोमवार शाम से ही मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे का फोन भी नहीं उठा रहे हैं। हालांकि, संजय राउत ने दावा किया है कि शिंदे से संपर्क हो गया है।

राज्यसभा सांसद संजय राउत ने कहा कि कुछ विधायकों को गुमराह किया गया है, जिससे संपर्क नहीं हो पा रहा। उन्होंने कहा कि सूरत में जो विधायक हैं, उन्हें आने नहीं दिया जा रहा है। राउत ने कहा कि सबकी घेराबंदी कर दी गई है। सभी विधायक आना चाहते हैं व शिवसेना के साथ रहे हैं। सूत्रों के अनुसार शिंदे समेत शिवसेना के 15 विधायक सूरत के होटल में रुके हैं। इनमें शहाजी बापू पाटील, महेश शिंदे, भरत गोगावले, महेंद्र दळवी, महेश थोरवे, विश्वनाथ भोईर, संजय राठौड, संदीपान भुमरे, उदयसिंह राजपूत, संजय शिरसाठ, रमेश बोरणारे, प्रदीप जैस्वाल, अब्दुल सत्तार और तानाजी सावंत शामिल हैं।

महाराष्ट्र में अगर शिवसेना के 15 विधायक बागी हुए, तो शिवसेना की सरकार गिर सकती है। दरअसल, राज्य में उद्धव सरकार के पास 153 विधायकों का समर्थन है। सरकार बनाने के लिए 144 विधायक चाहिए, क्योंकि 1 सीट अभी खाली है। अगर, शिवसेना में फूट होती है, तो कांग्रेस के भी कुछ विधायक पाला बदल सकते हैं। महाराष्ट्र में सियासी जंग के बीच नेता प्रतिपक्ष देवेंद्र फडणवीस दिल्ली पहुंच गए हैं। वहीं दोपहर 2 बजे भाजपा प्रदेश अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल मीडिया से बात करेंगे। सूत्रों के अनुसार पाटिल इस उठापटक में भाजपा के शामिल नहीं होने व सरकार नहीं बनाने की घोषणा कर सकते हैं। केंद्रीय मंत्री नारायण राणे ने ट्वीट कर लिखा- एकनाथ शिंदे ने सही समय पर सही फैसला लिया है।

एकनाथ शिंदे की गिनती शिवसेना के दिग्गज नेताओं में होती है। जब 2019 में चुनाव का रिजल्ट आया था, तो शिवसेना ने शिंदे को विधायक दल का नेता बनाया था। शिंदे ठाणे इलाके के बड़े नेता माने जाते हैं और बाला साहब ठाकरे के समय से पार्टी से जुड़े हुए हैं। पिछले महीने महाराष्ट्र में राज्यसभा और सोमवार को विधान परिषद के चुनाव में शिवसेना में शिंदे की बात नहीं सुनी गई, जिसके बाद से ही वे नाराज चल रहे थे।

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