सीबीएसई परीक्षा के फाइनल रिजल्ट को लेकर स्टूडेंट्स व पेरेंट्स नाराज़… कहा- बोर्ड ने वेटेज को लेकर दिया धोखा

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ओडिशा पैरेंट्स फेडेरेशन ने सीबीएसई चेयरमैन को भेजा एक लेटर… लिखा, बोर्ड इस तरह छात्रों के साथ अन्याय नहीं कर सकता

टाकिंग पंजाब

नई दिल्ली। केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) के 22 जुलाई 2022 को 10वीं व 12वीं बोर्ड परीक्षा के फाइनल रिजल्ट जारी करने के बाद  बहुत से स्टूडेंट्स व पेरेंट्स बोर्ड के रवैये से परेशान व गुस्से में हैं। उनका कहना है कि सीबीएसई ने टर्म 1 व टर्म 2 वेटेज पर पहले जो जानकारी दी थी, उससे एकदम अलग वेटेज सिस्टम के आधार पर परिणाम घोषित किए हैं जिससे स्टूडेंट्स का भविष्य खराब होने का डर है। वे मेंटली डिप्रेस्ड हैं व ऐसा लग रहा है जैसे बोर्ड ने सभी को धोखा दिया है। इसी के चलते ओडिशा पैरेंट्स फेडेरेशन की ओर से 24 जुलाई 2022 को सीबीएसई चेयरमैन को एक लेटर भेजा गया जिसमें पैरेंट्स ने सीबीएसई बोर्ड परीक्षा 2022 वेटेज को लेकर कई सवाल उठाए हैं। यह पहली बार है जब सीबीएसई ने 2021-22 वर्ष की बोर्ड परीक्षाएं दो टर्म्स में आयोजित कीं हैं।
संघ की ओर से लेटर में लिखा कि सीबीएसई ने वेटेज से संबंधित  05 जुलाई 2021 को एक सर्कुलर जारी किया था जिसमें  टर्म 1 और टर्म 2 को 50%-50% वेटेज की बात कही गई थी। टर्म 1 की परीक्षाएं नवंबर- दिसंबर 2021 में और परिणाम मार्च 2022 में जारी किए। इसके बाद सोशल मीडिया पर एक खबर वायरल हुई की बोर्ड फाइनल रिजल्ट के लिए 50-50 नहीं बल्कि 30%-70% वेटेज रखेगा।
बाद में सीबीएसई ने इसे फेक बता दिया था। टर्म 2 मई-जून 2022 और रिजल्ट जारी होने के बाद सीबीएसई ने एक सर्कुलर जारी कर सूचना दी कि कमेटी के ज्यादातर सदस्यों ने टर्म-1 के लिए 30 प्रतिशत और टर्म-2 के लिए 70 प्रतिशत वेटेज रिकमंड किया है, जिसे लंबी बातचीत के बाद मान लिया गया है। स्टूडेंट्स व पैरेंट्स इस बात से हैरान रह गए कि सीबीएसई परीक्षा के बाद कैसे मार्किंग सिस्टम बदल सकता है? क्योंकि स्टूडेंट्स ने सीबीएसई द्वारा 05 जुलाई 2021 को जारी 50-50 वेटेज सर्कुलर के हिसाब से तैयारी की थी।
टर्म-1 की तैयारी के लिए उनके पास करीब 8 महीने थे जबकि टर्म 2 के लिए केवल 2 से 3 महीने का ही समय मिला था। सीबीएसई ने खुद 30-70 प्रतिशत मार्किंग सिस्टम को फेक व गलत बता दिया था। लेटर में आगे लिखा है कि बोर्ड इस तरह से छात्रों के साथ अन्याय नहीं कर सकता। छात्र इससे मेंटली डिप्रेशन में हैं और उनके माता-पिता इसी कनफ्यूजन और टेंशन में हैं कि अब क्या क्या करें और क्या नहीं? फिलहाल बोर्ड की ओर से इन सभी शि‍कायतों पर कोई प्रत‍िक्र‍िया नहीं मिली है।

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