टाकिंग पंजाब
चंडीगड़। पंजाब व हरियाणा में लगभग सभी बड़े नेता व बड़े व अमीर किसान ट्यूबवेल के लिए मुफ्त बिजली की रियायत का आनंद ले रहे हैं। इसके खिलाफ एक याचिकाकर्ता ने पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में रिट डाल दी थी। इस रिट में याचिकाकर्ता ने दलील दी कि संपन्न किसान ऐसी रियायतों के पात्र नहीं हैं व उन्हें इस योजना के दायरे से बाहर रखा जाना चाहिए।
इस प्रकार बचाई गई राशि का उपयोग उन छोटे किसानों की शिकायतों के हल के लिए किया जा सकता है, जो कर्ज के बोझ के कारण आत्महत्या कर रहे थे। इस जनहित याचिका पर पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में सुनवाई हुई। मामले में बहस के दौरान याचिकाकर्ता एचसी अरोड़ा ने चीफ जस्टिस के बेंच के सामने दलील दी कि अमीर किसानों के अलावा सभी आइएएस और आइपीएस अधिकारियों, विधायकों, सांसदों व कृषि भूमि वाले उद्योगपतियों को लाभ से बाहर रखा जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि सरकार वित्तीय संकट का सामना कर रही है व उसके पास अपने कर्मचारियों को समय पर वेतन का भुगतान करने के लिए धन नहीं है। ऐसे में सरकार को इस तरह के फालतू खर्च में लिप्त होने की अनुमति नहीं देनी चाहिए। मामले में बहस के दौरान यह बात सामने आई है कि सुप्रीम कोर्ट सरकार द्वारा मुफ्त की घोषणा व सुविधा देने के खिलाफ याचिका पर सुनवाई कर रहा है। इस पर हाईकोर्ट ने कहा की सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद ही हाई कोर्ट इस मामले पर सुनवाई करेगा।