25 साल बाद एक बार फिर से हुआ आईएनएस विक्रांत का पुनर्जन्म, 20 हजार करोड़ आई लागत
दुनिया में केवल अमेरिका, रूस, ब्रिटेन व फ्रांस के पास ही ऐसा 40 हजार टन वजन वाला विमान वाहक जहाज
टाकिंग पंजाब
नईं दिल्ली। सन 1971 की जंग में आईएनएस विक्रांत ने अपने सीहॉक लड़ाकू विमानों से बांग्लादेश के चिटगांव, कॉक्स बाजार व खुलना में दुश्मन के ठिकानों को तबाह कर दिया था। इसके 25 साल बाद 31 जनवरी 1997 को नेवी से आईएनएस विक्रांत को रिटायर कर दिया गया था। अब तकरीबन 25 साल बाद एक बार फिर से आईएनएस विक्रांत का पुनर्जन्म हुआ है।
आईएनएस विक्रांत देश में निर्मित सबसे बड़ा युद्धपोत है। यह एयरक्राफ्ट कैरियर 20 मिग-29 फाइटर जेट्स ले जाने में सक्षम है। इसकी लागत करीब 20 हजार करोड़ रुपए है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को देश का पहला स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर आईएनएस विक्रांत नेवी को सौंप दिया। मोेदी ने एयरक्राफ्ट कैरियर को बनाने वाले इंजीनियर्स की तारीफ की व कहा कि आईएनएस विक्रांत सिर्फ वॉरशिप नहीं, समंदर में तैरता शहर है।
इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि यह भारतीयों के लिए गर्व का मौका है व सशक्त भारत की शक्तिशाली तस्वीर है। हम आज नए सूर्य के उदय के साक्षी बन रहे हैं। इसमें जितनी बिजली पैदा होती है, उससे 5 हजार घरों को रोशन किया जा सकता है। यह दो फुटबॉल ग्राउंड के बराबर है, जो कि हमारे इंजीनियर्स की जीवटता का उदाहरण हैं।
आज भारत उन देशों की सूची में शामिल हो गया है, जो अपनी तकनीक से ऐसे बड़े जहाज बना सकते हैं। विक्रांत 40 हजार टन वजन वाला विमान वाहक जहाज है। दुनिया में केवल अमेरिका, रूस, ब्रिटेन और फ्रांस के पास ही 40 हजार और इससे ज्यादा वजन वाले विमान वाहक जहाज का निर्माण करने की क्षमता है। विक्रांत 20 मिग-29 लड़ाकू विमान और दस हेलीकॉप्टरों को ले जाने में सक्षम है। 2017 में आईएनएस विराट के रिटायर होने के बाद भारत के पास केवल एक विमान वाहक जहाज आएनएस विक्रमादित्य है।