लतीफपुरा का मुद्दा गर्माने से बैकफुट पर आई सरकार.. बना रही बे-घरों को बसाने की योजना

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लतीफपुरा के लोगों से मिले अकाली दल सुप्रिमों सुखबीर बादल व कांग्रेसी नेता सुखपाल खैहरा, आप में मची खलबली

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जालंधर। मंगलवार रात को जहां अकाली दल के प्रधान सुखबीर बादल ने लतीफपुरा के लोगों से मिलकर उनका दुख बांटा, वहीं बुधवार को कांग्रेसी विधायक सुखपाल खैहरा ने भी इस इलाके को लोगों से मिलकर इस कार्रवाई का विरोध किया। इससे लगता है लतीफपुरा में इम्प्रूवमेंट ट्रस्ट की तरफ से पुलिस प्रशासन के सहयोग से गिराए गए घरों पर सियासत शुरू हो गई है। कांग्रेसी विधायक सुखपाल खैहरा के साथ माडल टाउन की पार्षद अरुणा अरोड़ा भी थी, जिन्होंने लोगों को मिल उनका हाल जाना।     कांग्रेसी विधायक सुखपाल खैहरा ने कहा कि सरकार तो सो रही है। भगवंत मान व केजरीवाल का कोई ब्यान ही नहीं आया है। अगर भगवंत मान में जरा सी भी इंसानियत बची है तो उसे यहां आकर लोगों के घर बनवाने चाहिए। जितने भी पुलिस वालो ने लोगों से गल्त व्यवहार किया है, उन पर कार्रवाई होनी चाहिए। किसी के शरीर पर जख्म बना नमक डालने का काम पुलिस ने किया है। उन्होंने कहा कि अगर यहां से लोगों को अब हटाया गया तो इस जगह पर धरने पर वह बैठेंगे।   उधर दूसरी तरफ लतीफफुरा मामले में हुई किरकिरी के बाद पंजाब सरकार बैकफुट पर आ गई है। सरकार के आदेश पर ट्रस्ट के चेयरमैन, ईओ व जिला प्रशासन लोगों को नईं जगह बसाने की योजना बनाने में जुट गए हैं। ट्रस्ट व प्रशासन अब मीटिंगें कर इन उजाड़े गए लोगों को फिर से बसाने की कोशिश में है। बीते कल भी इम्प्रूवमेंट ट्रस्ट के चेयरमैन जगतार सिंह संघेड़ा, कार्यकारी अधिकारी राजेश चौधरी व डीसी जसप्रीत सिंह ने मीटिंग कर इस पर सोच-विचार किया था कि लतीफपुरा के लोगों को कैसे व कहां बसाया जाए। इसका कारण यह है कि इस लतीफपुरा के मुद्दे को आम आदमी पार्टी की विरोधी पार्टीयां कांग्रेस, अकाली दल व भाजपा तूल देने में लगी हैं।    मंगलवार को जहां इन लोगों से अकाली दल के सुप्रिमों सुखबीर बादल मिले थे, वहीं बुधवार को कांग्रेसी विधायक सुखपाल खैहरा इन बे-घर लोगों का हाल जानने पहुंच गए। दरअसल आम आदमी का कोई नेता इन लोगों का सामना करने की हिंमत नहीं जुटा पा रहा है, लेकिन इस मुद्दे को लेकर सरकार पर दबाव जरूर बनाया जा रहा है। इसी कारण सरकार इन बे-घर लोगों को घर मुहय्या करवा इस मुद्दे को यहीं पर खत्म करने की सोच रही है, ताकि नगर निगम चुनावों में इस मुद्दे से होने वाले नुक्सान से बचा जा सके।

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