एमएसपी पर कानून बनाने, किसानों खिलाफ दर्ज केस वापस लेने आदि की मांग कर रहे हैं किसान संगठनों
टाकिंग पंजाब
चंडीगढ़। केंद्र सरकार की तरफ से लाए गए तीनों कृषि कानूनों के बाद किसान जत्थेबंदियों ने भारी हंगामा करते हुए दिल्ली की तरफ कूच कर दिया था। किसानों के उग्र होते अंदोलन को देखते हुए केंद्र सरकार ने तीनों कृषि कानून वापस ले लिए थे। लग रहा था कि तीनों कृषि कानून वापस लेने के बाद किसान आंदोलन खत्म हो गया है, लेकिन एक बार फिर पंजाब के कुछ संगठन अपनी आधी-अधूरी मांगो को लेकर आज दिल्ली की ओर कूच कर सकते हैं। पंजाब से आ रहे यह किसान आज दिल्ली में गुरुद्वारा बंगला साहिब के पास जुटेंगे व संसद भवन की ओर मार्च करेंगे। इससे पहले जंतर-मंतर पर उनका प्रदर्शन भी है। संयुक्त किसान मोर्चा 20 मार्च को दिल्ली के जंतर-मंतर पर महापंचायत भी करने वाली है। किसान संगठनों का आरोप है कि केंद्र सरकार ने जो वादे किए थे, वह पूरे नहीं किए गए। किसान संगठनों की आखिर ऐसी कौन सी मांगें थीं, जिन्हें अब तक पूरी नहीं करने का दावा किया जा रहा है।
दरअसल केंद्र सरकार के तीन कृषि कानून के खिलाफ 26 नवंबर 2020 को किसानों का आंदोलन शुरू हुआ था। लगभग एक साल तक चले आंदोलने के बाद इन तीनों कानूनों को रद्द कर दिया गया था। इसके बाद 19 नवंबर 2021 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इन तीनों कानूनों की वापसी का ऐलान किया था, जिसके बाद यह किसान आंदोलन खत्म हो गया था। हालांकि, अब किसान संगठनों का कहना है कि केंद्र सरकार ने उनसे जो वादे किए थे, वो अब तक पूरे नहीं हुए हैं। किसान संगठनों की सबसे बड़ी मांग एमएसपी पर कानून बनाने की है, एमएसपी यानी न्यूनतम समर्थन मूल्य। संगठनों का दावा है कि सरकार ने एमएसपी की गारंटी पर कानून बनाने का वादा किया था, लेकिन अब तक ऐसा नहीं हुआ है। किसान संगठन चाहते हैं कि स्वामीनाथन आयोग के फॉर्मूले के हिसाब से एमएसपी की गारंटी का कानून बनाया जाए। इसके अलावा किसान संगठनों की एक मांग ये भी है कि आंदोलन के दौरान जिन किसानों के खिलाफ केस दर्ज किया गया था, उन्हें वापस लिया जाए। इस अंदोलन में अभी पंजाब के पांच किसान संगठन शामिल हो रहे हैं, जिनमें भारतीय किसान फेडरेशन, भारतीय किसान यूनियन (मानसा), भारतीय किसान यूनियन (राजेवाल), आजाद किसान संघर्ष कमेटी और किसान संघर्ष कमेटी शामिल है।