टाकिंग पंजाब
दिल्ली। आम आदमी अगर कहीं पर नौकरी करता है तो उसकी सालाना सैलरी 5 से 10 प्रतिशत तक बढ़ती है। कईं तो ऐसे भी हैं, जिनकी सैलरी कईं सालों से नहीं बढ़ी होगी, लेकिन आम आदमी को छोड़िए यहां आम आदमी पार्टी के दिल्ली में विधायकों व मंत्रियों की सैलरी 67 प्रतिशत तक बढ़ गई है। इतना ही नहीं, दिल्ली के मुख्यमंत्री का वेतन 72 हजार से बढ़कर सीधा 1.70 लाख रूपए हो गया है, जिससे दिल्ली में विधायकों व मंत्रियों की बल्ले बल्ले हो गई है। कल 14 फरवरी 2023 से विधायकों को 90 हजार रुपए सैलरी मिलेगी, जबकि, मुख्यमंत्री, मंत्री, स्पीकर व विपक्ष के नेता को 1.72 लाख रुपए मिलेंगे। दरअसल दिल्ली विधानसभा में जुलाई 2022 में विधायकों-मंत्रियों व मुख्यमंत्री की सैलरी में बढ़ोतरी का प्रस्ताव पास किया गया था। अब इस प्रस्ताव को राष्ट्रपति से मंजूरी मिलने के बाद दिल्ली सरकार के लॉ डिपार्टमेंट ने वेतन बढ़ोतरी का नोटिफिकेशन जारी किया है। इसके मुताबिक विधायकों को अब 90 हजार सैलरी मिलेगी। अभी तक विधायकों को 54 हजार रुपए मिलते थे। यानी मंत्री व मुख्यमंत्री के वेतन में 136 प्रतिशत की बढ़ोतरी की गई है इस बढ़ौतरी की बात करें तो विधायकों को जहां पहले 54 हजार रूपए सैलरी मिलती थी, अब उन्हें 90 हजार मिलेगी। इसके साथ ही मंत्री, सीएम, स्पीकर व विपक्ष के नेता को जो पहले 72 हजार मिलते थे, अब 1.70 लाख रूपए यानि कि 136 प्रतिशत की बढौतरी के साथ मिलेंगे। हालांकि विधायकों व मंत्रियों की सैलरी 12 साल बाद बढ़ी है, जिसमें पिछली सारी कमी को पूरा कर लिया गया है। अभी तक विधायकों को बेसिक सैलरी के तौर पर 12 हजार रुपए मिलते थे, जिसे अब यह बढ़ाकर 30 हजार रुपए कर दिया गया है। इसके अलावा चुनाव क्षेत्र भत्ता 18 से 25 हजार, सचिवालय भत्ता 10 से 15 हजार, वाहन भत्ता 6 से 10 हजार, टेलीफोन भत्ता 8 से 10 हजार रूपए कर दिया गया है। इसके अलावा डीए को 1000 रुपए से बढ़ाकर 1500 रुपए कर दिया गया। नए प्रस्ताव के मुताबिक, अब विधायकों को भत्तों समेत 90 हजार रुपये हर महीने मिलेंगे। आम तौर पर संसद में एक दूसरे से भिड़ने वाली सभी राजनीतिक पार्टीयां सैलरी बढ़ाने के मुद्दे पर एकजुट नजर आई। सरकार के इस फैंसले पर किसी ने कोई आपति नहीं जताई। भाजपा के विधायक जो आम तौर पर आप के सभी फैंसलों का विरोध करते रहते हैं, इस मुद्दे पर एकमत नजर आए। भाजपा विधायक अनिल वाजपयी ने तो यहां तक कह दिया कि बेसिक सैलरी जो बढ़ाकर 30 हजार की गई है, वह भी कम है। इसे कम से कम 50 हजार रूपए किया जाना चाहिए, जिसका सभी ने टेबल खड़का कर समर्थन भी किया।