राहुल ने कहा कि बयान देते वक्त मेरी मंशा गलत नहीं थी, मैंने तो बस भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाई थी
टाकिंग पंजाब
नई दिल्ली। मानहानि केस में राहुल गांधी को सूरत कोर्ट ने गुरुवार को दोषी करार देते हुए इस फैसले के 27 मिनट बाद ही उन्हें 2 साल की सजा व 15 हजार का जुर्माना लगा दिया। हालांकि इसके कुछ देर बाद उसी कोर्ट ने उन्हें 30 दिन के लिए जमानत भी दे दी। कोर्ट के बाहर विधायक और याचिकाकर्ता पूर्णेश मोदी व उनके समर्थकों ने भारत माता की जय और जय श्रीराम के नारे लगाए। कोर्ट में अपना पक्ष रखते हुए राहुल गांधी के वकील मुताबिक, राहुल ने कहा कि बयान देते वक्त मेरी मंशा गलत नहीं थी। मैंने तो भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाई थी। राहुल को आईपीसी की धारा 400 व 500 के तहत दोषी करार दिया गया है। इसमें 2 साल की सजा का प्रावधान है। राहुल के वकील ने कोर्ट से कहा कि इस पूरी घटना में कोई घायल नहीं हुआ। इससे किसी को कोई नुकसान नहीं पहुंचा है। इसलिए हम किसी प्रकार की दया की याचना नहीं करते हैं। राहुल गांधी ने तो यहां तक कह दिया कि वह माफी नहीं मांगेगे। मेरा ब्यान राजनी्तिक था। भृष्टाचार के खिलाफ बोलना उनकी जिम्मेदारी है। इसके अलावा उन्होंने ट्वीट करते हुए कहा कि मेरा धर्म सत्य अंहिसा पर अधारित है। सत्य मेरा भगवान है व अंहिसा उसे पाने का साधन। अदालत द्वारा दोषी ठहराए जाने के बाद अगर ऊपरी अदालत ने राहुल की सजा का निलंबन नहीं किया, तो उन्हें एक सांसद के रूप में अयोग्यता का सामना करना पड़ सकता है और वह चुनाव भी नहीं लड़ पाएंगे। जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के तहत अगर किसी को दो साल या उससे अधिक के कारावास की सजा सुनाई जाती है, तो वह व्यक्ति कारावास की अवधि और छह साल की अवधि के लिए अयोग्य हो जाता है। लेकिन, उन्हें अपील करने के लिए सजा की तारीख से तीन महीने की अवधि प्रदान की गई है व अपात्रता तब तक लागू नहीं होगी जब तक कि अपील का फैसला नहीं हो जाता।