डॉ. अनु कक़्कड़, डॉ. अनु रामापल, डॉ रितु बजाज व डॉ. सुगंधा ने रखे अपने विचार
टाकिंग पंजाब
जालंधर। महिलाएं और लड़कियां विज्ञान और प्रौद्योगिकी समुदायों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं और उनकी भागीदारी को मजबूत किया जाना चाहिए। भले ही महिलाओं ने उच्च शिक्षा में अपनी भागीदारी बढ़ाने की दिशा में जबरदस्त प्रगति की है, फिर भी इन क्षेत्रों में उनका प्रतिनिधित्व अभी भी काफी कम है। इन बातों का प्रगटावा विज्ञान में महिलाओ भी लडकियो की भागीदारी के अंतराष्ट्रीय दिवस पर करवाए गए प्रोग्राम के दौरान डॉ अनु कक़्कड़, डॉ. अनु रामापल, डॉ रितु बजाज व डॉ. सुगंधा ने किया। इस दौरान इन सभी ने कहा कि 11 फरवरी को इसी भागीदारी को मजबूत करने के लिए हर साल विज्ञान में महिलाएं और लड़कियों की भागीदारी का अंतरराष्ट्रीय दिवस मनाया जाता है। दुनिया भर में विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित (एसटीईएम) विषयों के सभी स्तरों पर वर्षों से एक महत्वपूर्ण लिंग अंतर बना हुआ है। संयुक्त राष्ट्र के लिए लैंगिक समानता हमेशा एक मुख्य मुद्दा रहा है। लैंगिक समानता और महिलाओं और लड़कियों का सशक्तिकरण न केवल दुनिया के आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण योगदान देगा, बल्कि सतत विकास के लिए 2030 एजेंडा के सभी लक्ष्यों और लक्ष्यों की प्रगति में भी योगदान देगा। उन्होंने कहा कि विकास लक्ष्य की कुछ सबसे बड़ी चुनौतियों से निपटना, स्वास्थ्य में सुधार से लेकर जलवायु परिवर्तन से निपटने तक सभी प्रतिभाओं (महिला व) के दोहन पर निर्भर करेगा। उन्होंने कहा कि अनुसंधान में विविधता प्रतिभाशाली शोधकर्ताओं के पूल का विस्तार करती है, जिससे नए दृष्टिकोण, प्रतिभा व रचनात्मकता सामने आती है। यह दिवस हमें याद दिलाता है कि महिलाएं और लड़कियां विज्ञान व प्रौद्योगिकी समुदायों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। इस दौरान डॉ. अनु कक़्कड़, डॉ. अनु रामापल, डॉ रितु बजाज वो डॉ. सुगंधा को सम्मानित भी किया गया। इस अवसर पर डॉ एस पी डालिया, डॉ. विपुल कक्कड़, दिनेश शर्मा, राजीव धवन व बी एस भाटिया भी मौजूद रहे।