एक सामान्य कोच को बनाने में लगते हैं 1 करोड़ रूपए व 70 से 100 करोड़ तक पड़ती है एक ट्रेन की कीमत
टाकिंग पंजाब
नई दिल्ली। अग्निपथ स्कीम को जहाँ देश के कई राज्यों में विरोध प्रदर्शन हो रहा है, वहीं इस उग्र होते विरोध प्रदर्शन में सरकारी सम्पति का बहुत बड़ा नुकसान हो रहा है। इस उग्र प्रदर्शन में सबसे बड़ा नुकसान रेलवे को हुआ है ओर यह नुक्सान करोड़ों रूपयों में कहा जा रहा है। इस विरोध की आग में कितनी ही ट्रेने जलकर खाक हो गई। ट्रेनों में आगजनी की घटना के चलते रेल मंत्रालय ने प्रदर्शनकारियों से शांति बनाए रखने व रेलवे की संपत्ति को नुकसान न पहुंचाने की अपील की है।

दरअसल ट्रेन बनाना काफी खर्चे वाला काम है व इसको आग लगने से करोड़ों रूपए सवाह हो जाते हैं। अखबारी सूत्रों की माने तो एक 22 से 24 डिब्बों वाली ट्रेन बनाने में 70 करोड़ रूपए का खर्च आ जाता है। रेलवे मंत्रायल से जुड़े सूत्रों की माने तो ट्रेन के दो हिस्से होते हैं। इसमें पहला हिस्सा इंजन व दूसरा हिस्सा कोच होता है। इंजन ट्रेन का सबसे महंगा हिस्सा होता है व ट्रेन का इंजन बनाने में करीब 20 करोड़ रुपए खर्च हो जाते हैं। एक डुअल मोड लोकोमोटिव की कीमत करीब 18 करोड़ रुपये होती है जबकि 4500 हॉर्स पावर के डीजल लोकोमोटिव की कीमत करीब 13 करोड़ रुपए बैठती है। इंजन की कीमत उसकी क्षमता पर निर्भर करती है।
अब ट्रेन के कोच यानि कि डिब्बों की बात करें तो ट्रेन में स्लीपर, एसी व जनरल अलग-अलग कोच होते हैं। एक एसी कोच को बनाने की लागत करीब दो करोड़ रुपए से अधिक होती है। स्लीपर कोच बनाने की कीमत 1.25 करोड़ रुपए व जनरल कोच बनाने का खर्च करीब एक करोड़ रुपए तक आता है।
