पहलगाम हमले के बदला .. मात्र 25 मिनट, 9 टारगेट, 24 मिसाइलों ने किया आंतक पर कड़ा प्रहार

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हमले का सोच सोच पाकिस्तान अभी तक है हैरान .. इस स्टीक प्रहार व ऑपरेशन सिंदूर की पढिए पूरी कहानी…

टाकिंग पंजाब

नई दिल्ली। बुधवार रात 1.31 बजे रात के सन्नाटे में सेना के एक सोशल मीडिया पोस्ट ने खलबली मचा दी। भारतीय सेना और वायुसेना की जोड़ी चुपचाप वह कर चुकी थी, जो 1971 के बाद कभी नहीं हुआ था। कुछ ही देर पहले 25 मिनट तक चला ऑपरेशन सिंदूर पूरा हो चुका था। पाकिस्तान के 100 किलोमीटर अंदर उसके दिल कहे जाने वाले पंजाब के बहावलपुर से लेकर पोक में स्थित 9 आतंकी ठिकानों को मिसाइलों व फाइटर जेट्स ने मिट्टी में मिला दिया था। यह ऑपरेशन इतने गुप्त तरीके से हुआ कि अलर्ट पर बैठी पाकिस्तानी सेना को खबर तक नहीं लगी। इस दौरान बाकयदा ड्रोन 100 किलोमीटर अंदर तक गए। टारगेट तय हुए और फिर एक साथ 9 आतंकी ठिकानों पर इतनी सटीक निशाना लगा कि पाकिस्तान अभी तक हैरान है। इस स्टीक प्रहार व ऑपरेशन सिंदूर की पढिए पूरी कहानी…   ऑपरेशन सिंदूर के बारे में वायुसेना की विंग कमांडर व्योमिका सिंह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि मंगलवार-बुधवार देर रात 1 बजकर 5 मिनट से 1 बजकर 30 मिनट के बीच ये हमला किया गया था। पहलगाम आतंकी हमले के पीड़ितों और उनके परिवारों को न्याय दिलाने के लिए भारतीय सशस्त्र बलों ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ लॉन्च किया। इसके तहत 9 आतंकवादी शिविरों को निशाना बनाया गया व उन्हें सफलतापूर्वक नष्ट कर दिया गया। इस दौरान एयर स्ट्राइक से जुड़ी एक वीडियो क्लिप भी दिखाई गई, जिसमें बताया गया कि इस ऑपरेशन के दौरान 9 टारगेट चुने गए थे। इस स्ट्राइक में लॉन्चपैड, ट्रेनिंग सेंटर्स को टारगेट कर तबाह कर दिया गया।  एलओसी के पास स्थित इन 5 टारगेट्स पर किया गया अटैक

   इस आप्रेशन तहत सवाईनाला कैंप, मुजफ्फराबाद जो पीओजेके के लाइन ऑफ कंट्रोल से 30 किलोमीटर दूर है, यह लश्कर-ए-तैयबा का ट्रेनिंग सेंटर था। सैयदना बिलाल कैंप, मुजफ्फराबाद, यह जैश-ए-मोहम्मद का स्टेजिंग एरिया है। यह हथियार, विस्फोटर व जरनल सर्वाइविंग ट्रेनिंग का केंद्र भी था। इसके साथ ही गुलपुर कैंप, कोटली जो एलओसी 30 किलोमीटर दूर था। यह लश्कर-ए-तैयबा का बेस था, जो रजौरी और पुंछ में सक्रिय था। इसके अलावा बरमाला कैंप, बिंबर जो कि एलओसी से 9 किलोमीटर दूर है। यहां पर हथियार हैंडलिंग, आइडी और जंगल सर्वाइवल केंद्र का प्रशिक्षण दिया जाता था। इसके बाद अब्बास कैंप, कोटली जो कि यह एलओसी से 13 किलोमीटर दूर है। लश्कर-ए-तैयबा का फिदाइन यहां तैयार होता था। इसकी कैपेसिटी 15 आतंकियों को ट्रेन करने की थी।  पाकिस्तान के अंदर के इन टारगेट्स पर किया था अटैक

   इस आप्रेशन तहत पाक के अंदर घुस कर भी आंतक पर अटैक किया गया। पाक के सियालकोट में सर्जल कैंप जो कि अंतरराष्ट्रीय सीमा से 6 किलोमीटर की दूरी पर है, को बर्बाद कर दिया गया। मार्च 2025 जम्मू-कश्मीर के चार जवानों की जो हत्या की गई थी, उन आतंकियों को इसी जगह पर ट्रेन किया गया था। इसके अलावा महमूना जाया कैंप, सियालकोट जो 12 से 18 किलोमीटर आईबी से दूर था, हिजबुल-मुजाहिदीन का बहुत बड़ा कैंप था। यह कठुआ में आतंक फैलाने का केंद्र था। पठानकोट एयरबेस हमला भी यहीं से प्लान किया गया था। मरकज तैयबा मुरीदके जो कि आईबी से 18 से 25 किलोमीटर दूरी पर है। साल 2008 के मुंबई हमले के आतंकी भी यहीं से परिशिक्षित हुए थे। अजमल कसाब व डेविड हेडली भी यहां ट्रेन हुए थे। मरकज सुभानअल्लाह, भवलपुर कैप जो कि इंटरनेशनल बाउंड्री से 100 किलोमीटर दूर है। यह जैश-ए-मोहम्मद का केंद्र था।आतंकी ठिकानों पर हमले की तैयारी कैसे की गई

   आतंकी ठिकानों पर स्ट्राइक की तैयारी के बारे में अधिकारियों ने बताया कि सशस्त्र बलों ने इन स्थलों पर संचालित हो रहे आतंकी शिविरों के बारे में ‘गुप्त खुफिया जानकारी’ पहले से जुटा रखी थी। इसी जानकारी के आधार पर पाकिस्तान में चार और पीओजेके में पांच स्थानों को चुना गया। अधिकारियों के अनुसार इस ऑपरेशन के दौरान लाहौर से लगभग 30 किलोमीटर दूर मुरीदके में लश्कर के मुख्य ठिकाने पर लगातार चार बार हमला किया गया। मुरीदके, 1990 से लश्कर का गढ़ है, जहां अजमल कसाब व 9 अन्य आतंकवादियों को मुंबई में 26/11 के आतंकी हमले से पहले प्रशिक्षित किया गया था।   अधिकारियों ने बताया कि इसके अलावा, 26/11 हमले के आरोपी डेविड हेडली और तहव्वुर राणा भी वहां गए थे। अधिकारियों ने बताया कि पाकिस्तान के एबटाबाद शहर में 2011 में मारे गए अलकायदा आतंकवादी ओसामा बिन लादेन ने मुरीदके में एक गेस्टहाउस के निर्माण के लिए 10 लाख रुपये का दान दिया था। हाफिज सईद के नेतृत्व में लश्कर-ए-तैयबा ने जम्मू-कश्मीर, बेंगलुरु और हैदराबाद समेत देश के कई अन्य हिस्सों में भी आतंकवादी हमले किए हैं। मुरीदके में स्थित तैयबा के मरकज (केंद्र) को ‘आतंक की फैक्ट्री’ कहा जाता है, यह लश्कर-ए-तैयबा का सबसे महत्वपूर्ण प्रशिक्षण केंद्र है। यहां भर्ती किए गए लोगों को बरगलाया जाता है, प्रशिक्षण दिया जाता है। उन्होंने बताया कि इस शिविर में विभिन्न पाठ्यक्रमों के लगभग 1,000 छात्र नामांकित हैं।मसूद अजहर की रिहाई के बाद बहावलपुर बना जैश का मुख्य केंद्र

   अटैक का दूसरा बड़ा लक्ष्य बहावलपुर है, जो 1999 में आईसी-814 के अपहृत यात्रियों के बदले मसूद अजहर की रिहाई के बाद जैश-ए-मोहम्मद का केंद्र बन गया था। यह समूह भारत में कई आतंकवादी हमलों में शामिल रहा है, जिसमें 2001 में संसद पर हमला, 2000 में जम्मू-कश्मीर विधानसभा पर हमला, 2016 में पठानकोट में भारतीय वायुसेना के अड्डे पर हमला और 2019 में पुलवामा आत्मघाती हमला शामिल है। बहावलपुर में मरकज सुब्हानअल्लाह वह जगह है जहां जैश-ए-मोहम्मद अपने लड़ाकों को प्रशिक्षित करता है।   फरवरी 2019 में पुलवामा में हुए आतंकी हमले की योजना इसी शिविर में बनाई गई थी, जिसमें सीआरपीएफ के 40 जवानों की मौत हुई थी। अधिकारियों के अनुसार पहलगाम आतंकी हमले का बदला लेने के लिए बुधवार को किए गए ऑपरेशन के तहत निशाना बनाए गए अन्य ठिकानों में कोटली में मरकज अब्बास और पीओजेके के मुजफ्फराबाद में सैयदना बिलाल शिविर (सभी जैश-ए-मोहम्मद के शिविर) शामिल हैं। इसके अलावा बरनाला में मरकज अहले हदीस और मुजफ्फराबाद में शवावाई नाला शिविर (सभी लश्कर-ए-तैयबा से संबंधित) और कोटली में मरकज राहिल शाहिद और सियालकोट में (प्रतिबंधित हिज्बुल मुजाहिदीन के) महमूना जोया को भी निशान बनाया गया।

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