नेपाल को साफ्ट टारगेट क्यों समझते हैं अपराधी.. क्या नेपाल पहुंचने पर अमृतपाल सिंह को भारत लाना हो जाऐगा मुश्किल ?

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आखिर नेपाल भागे अपराधियों को पकड़ना क्यों हो जाता है मुश्किल ? क्या है भारत व नेपाल के बीच प्रत्‍यर्पण संधि

टाकिंग पंजाब

नईँ दिल्ली। खालिस्‍तान समर्थक अमृतपाल सिंह की गिरफ्तारी के लिए पंजाब पुलिस व एजेंसियां ऐड़ी चोटी का जोर लगा रही हैं। पुलिस व एजेसियां किसी भी तरह से अमृतपाल सिंह को नेपाल जाने से रोकना चाहती हैं। इसके लिए पंजाब पुलिस की कई टीमें उसके अलग-अलग ठिकानों पर लगातार छापेमारी कर रही हैं। हालांकि कुछ खबरें ऐसी भी आईं थी, जिसमें उसके नेपाल में देखे जाने की बात कही जा रही थी, लेकिन कुछ समय पहले अमृतपाल को दिल्ली में देखा गया है। इसलिए अभी तक यह साफ नहीं हो सका है कि आखिर अमृतपाल देश छोड़ नेपाल पहुंच गया है या फिर देश में ही है।     अगर अमृतपाल सिंह के नेपाल में होने की खबरों में थोड़ा भी दम है तो हम उसे नेपाल से पकड़ कर भारत क्‍यों नहीं ला पा रहे हैं ? क्‍या भारत और नेपाल के बीच प्रत्‍यर्पण संधि नहीं है ? अगर है तो क्‍या उसमें कोई ऐसा पेंच है, जो उसके जैसे अपराधियों के प्रत्‍यर्पण में अड़चन डालता है ? सबसे पहले समझते हैं कि प्रत्‍यर्पण संधि क्‍या होती है ? प्रत्‍यर्पण संधि दो देशों के बीच हुआ ऐसा समझौता है, जिसके मुताबिक देश में अपराध करके दूसरे देश में छुपने वाले अपराधी को पकड़ कर पहले देश को सौंपा दिया जाता है। इसके बाद मुद्दा यह है कि हर कोई अपराधी भारत छोड़कर सबसे पहले नेपाल ही क्यों जाना चाहता है। पहली बात तो यह है कि अपराधी नेपाल को इसलिए भी चुनते हैं क्‍योंकि वहां पासपोर्ट की जरूरत नहीं पड़ती है।   उत्तर प्रदेश व बिहार पहुंचने वाले अपराधी तो वारदात को अंजाम देने के बाद पैदल ही नेपाल चले जाते हैं। माना जा रहा है कि कुछ अपराधियों ने तो वहां जाकर दोहरी नागरिकता तक ले ली है। नेपाल में किसी भी भारतीय अपराधी की गिरफ्तारी बेहद मुश्किल है। नेपाल पहुंचते ही मामला अंतरराष्‍ट्रीय हो जाता है व ऐसे में अपराधी को पकड़ कर भारत लाने में कई नियम-कानून आड़े आते हैं। अगर नेपाल से किसी अपराधी को पकड़ कर लाना हो तो सबसे पहले पुलिस को भारत सरकार के गृह मंत्रालय से संपर्क करना होगा। फिर गृह मंत्रालय विदेश मंत्रालय से बात करेगा व इसके बाद विदेश मंत्रालय नेपाल के विदेश मंत्रालय से बातचीत करेगा।       फिर नेपाल का गृह मंत्रालय अपनी पुलिस को सहयोग करने या गिरफ्तार कर सौंपने का निर्देश देता है, तब तक अपराधी किसी दूसरे देश निकल जाता है। हालांकि अमृतपाल सिंह के मामले में भारत ने नेपाल सरकार को पहले ही बता दिया है व उसे गिरफ्तार करने की अपील भी की है। दूसरी तरफ अगर भारत के किसी राज्‍य की पुलिस सभी प्रोटोकॉल को बायपास कर वहां ऑपरेशन करती है तो हमारे पुलिस अधिकारियों को जेल तक हो सकती है। इससे पहले नेपाल के साथ अच्‍छे संबंधों के चलते कुछ मामलों में सभी प्रोटोकॉल को दरकिनार करते हुए अपराधी को दबोचकर भारत लाया जा चुका है। भारत की पड़ोसी देश पाकिस्तान, अफगानिस्तान, बांग्लादेश, चीन, मालदीव और म्यांमार से प्रत्‍यर्पण संधि नहीं है. नेपाल के साथ भारत की प्रत्‍यर्पण संधि नहीं होने जैसी ही है।

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