ब्रेन स्ट्रोक या लकवा होने पर घबराएं नहीं, मैकेनिकल थ्रोम्बैक्टमी से गंभीर मरीज भी हो रहे स्वस्थ

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समय रहते मरीज को अगर सही इलाज मिल जाए तो बचाई जा सकती है उसकी जान – डॉ. विवेक

टाकिंग पंजाब

जालंधर। अगर किसी को लगता है कि उसके शरीर का एक हिस्सा काम करना बंद कर रहा है, अगर लगता है कि उसकी आंखों के आगे एकदम से अंधेरा छा रहा है, अचानक बेसुध होकर इंसान गिर गया है तो इन सभी लक्षनों को हल्के मे न लें। अगर किसी को ऐसे लक्षण नजर आते हैं तो यह ब्रेन स्ट्रोक यानि कि दिमाग का दौरा पडऩे के लक्षण हो सकते हैं। इस बारे में इंटरवेंशनल न्यूरोरेडयोलॉजिस्ट डा. विवेक अग्रवाल ने कहा कि ब्रेन स्ट्रोक यानि कि दिमागी दौरा पडऩे पर यदि मरीज को तुरंत ऐसे अस्पताल ले जाया जाए तो मरीज की जान बचाई जा सकती है।    मरीज को उस अस्पताल में लेकर जाना चाहिए जहां अनुभवी न्यूरोलॉजिस्ट व न्यूरो सर्जन हों तो मरीज जल्द स्वस्थ हो सकता है व अधरंग के असर को कम या खत्म किया जा सकता है। फोर्टिस अस्पताल मोहाली के न्यूरो इंटरवेंशन एंड इंटरवेंशनल रेडियोलॉजी विभाग के कंस्लटेंट डा. विवेक अग्रवाल ने कहा कि न्यूरो से संबंधित बीमारियों के लक्ष्ण दिमागी हालत से जुड़े होते हैं, जिनमें भूल जाना, चेतना की कमी, एक दम व्यक्ति के व्यवहार में बदलाव आना, क्रोधित होना व तनावग्रस्त आदि लक्ष्ण शामिल हैं। उन्होंने कहा कि दिमागी दौरा या लकवा मारने पर बिल्कुल भी घबराने की जरूरत नहीं है।      ब्रेन स्ट्रोक के उपचार में क्रांतिकारी बदलाव आने से गंभीर से गंभीर मरीज स्वस्थ हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि दिमागी दौरा पडऩे पर मरीज को पूरी तरह से बचाया जा सकता है, बशर्ते उसे ऐसे अस्पताल पहुंचाया जाए, जहां पर एडवांस स्तर की सुविधाएं उपलब्ध हों। उन्होंने कहा कि यदि अस्पताल व्यापक स्ट्रोक सुविधाओं से लैस नहीं है, तो मरीज को ऐसे अस्पताल में लेजाकर समय बर्बाद नहीं करना चाहिए। मरीज को स्वास्थ्य सुविधाएं न मिलने के कारण औसतन स्ट्रोक में हर मिनट 1.9 मिलियन न्यूरॉन्स खो देते है, जो हमेशा अधरंग या मौत का कारण बनता है। उन्होंने कहा कि ब्रेन स्ट्रोक को किसी भी हालत में हल्के में न लें।

 

 

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