मल्लिकार्जुन खरगे व पी चिदंबरम समेत कई नेताओं ने किया इस फैसले का स्वागत…
टाकिंग पंजाब
नई दिल्ली। मोदी सरनेम मानहानि केस में कांग्रेस नेता राहुल गांधी की टिप्पणियों पर मानहानि मामले में दो साल की जेल की सजा मिलने के बाद मई में राहुल गांधी को अयोग्य घोषित कर दिया गया था जिसके चलते उनकी लोकसभा सदस्यता रद्द कर दी गई थी। परंतु अब लोकसभा सचिवालय ने राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता बहाल होने की अधिसूचना जारी की है। 136 दिन बाद राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता बहाल हो गई है। राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता बहाल होने पर कांग्रेस पार्टी में जश्न का माहौल है। इतना ही नहीं, कांग्रेस नेता राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता बहाल होने के बाद I.N.D.I.A गठबंधन के नेताओं ने भी जश्न मनाया। इस अवसर पर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि राहुल गांधी की सदस्यता बहाल होना स्वागत योग्य कदम, यह फैसला भारत के लोगों, खासकर वायनाड की जनता के लिए राहत ले कर आया है। कांग्रेस सांसद पी चिदंबरम ने कहा कि हम खुश हैं कि स्पीकर ने आज ही राहुल की सासंदी बहाली का फैसला लिया। राहुल अब लोकसभा में बैठ सकेंगे। यूपी के पूर्व सीएम व समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव ने भी राहुल गांधी को बधाई दी व कहा कि जहां तक कांग्रेस नेताओं और राहुल गांधी का सवाल है तो मैं उन्हें सदस्यता बहाल होने पर बधाई देना चाहता हूं। मैं सुप्रीम कोर्ट को भी बधाई देता हूं। इस फैसले के बाद लोकतंत्र और न्यायालय पर विश्वास बढ़ा है। उत्तर प्रदेश के मैनपुरी से समाजवादी पार्टी की लोकसभा सांसद डिंपल यादव ने भी कांग्रेस नेता राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता बहाल होने पर बधाई दी। उन्होंने कहा कि मैं राहुल गांधी को बधाई देती हूं व बहाली में देरी न करने के लिए स्पीकर को धन्यवाद देती हूं। बता दें कि मोदी सरनेम मानहानि केस में राहुल गांधी को 23 मार्च को निचली अदालत ने 2 साल की सजा सुनाई थी जिसके 24 घंटे में ही उनकी सांसदी चली गई थी। इसके बाद गुजरात हाईकोर्ट ने भी इसी सजा बरकरार रखा थी जिसके बाद राहुल ने इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई थी। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में हाईकोर्ट द्वारा सुनाई गई सजा पर रोक लगाते हुए कहा था कि राहुल गांधी ने जो टिप्पणी की थी वो गुड टेस्ट में नहीं था। उन्हें भविष्य में ऐसी टिप्पणियों से बचना चाहिए। राहुल गांधी को मैक्सिम दो साल की सजा दी गई। निचली अदालत ने ये कारण नहीं दिए कि क्यों पूरे दो साल की सजा दी गई। हाईकोर्ट ने भी इस पर पूरी तरह विचार नहीं किया। किसी को अयोग्य घोषित करने का असर न केवल व्यक्ति के अधिकार पर, बल्कि मतदाताओं पर भी पड़ता है।