सूत्रों की माने तो तैयार हो चुका है सैटेलाइट … दो दिनों में घोषित हो सकती है आदित्य-L1 के लॉन्च की फाइनल तारीख
टाकिंग पंजाब
नई दिल्ली। मिशन चंद्रयान-3 की सफलता ने देश के वैज्ञैनिकों व देशवासियों को ऊर्जा से भर दिया है। इस मिशन की सफलता का असर इस कदर देखने को मिल रहा है कि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के वैज्ञानिकों ने अपनी नजरें अपने अगले लक्ष्य – सूर्य पर टिका दी हैं। जी हां… सोलर रिसर्च के लिए भारत की पहली अंतरिक्ष वेधशाला, आदित्य-L1, श्रीहरिकोटा में देश के मुख्य स्पेसपोर्ट पर लॉन्च के लिए तैयार हो रही है।
आदित्य-L1 अंतरिक्ष यान को सोलर कोरोना का रिमोट ऑबजर्वेसन प्रदान करने व सोलर एटमोस्फेयर का अध्ययन करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। अंतरिक्ष यान बड़े पैमाने पर सोलर विंड का अध्ययन करेगा, जो पृथ्वी पर अशांति पैदा कर सकती हैं और आमतौर पर “औरोरा” के रूप में देखी जाती हैं। यह लंबे समय में, मिशन का डेटा पृथ्वी के जलवायु पैटर्न पर सूर्य के प्रभाव को बेहतर ढंग से समझने में मदद कर सकता है। सूत्रों की माने तो सैटेलाइट तैयार हो चुका है व श्रीहरिकोटा पहुंच भी चुका है, लेकिन आदित्य-L1 के लॉन्च की फाइनल तारीख अगले दो दिनों में घोषित की जाएगी। इस मिशन का इसरो के वैज्ञानिकों व देशवासियों को बेसर्बी से इंतदार है, जिसको लेकर तैयारियां की जा रही हैं।
इसरो प्रमुख एस सोमनाथ ने इस बात की जानकारी दी है। उम्मीद की जा रही है कि सितंबर के पहले हफ्ते में मिशन को लॉन्च किया जाएगा। सूत्रों के अनुसार अंतरिक्ष एजेंसी ने 2 सितंबर को लॉन्च का लक्ष्य भी रखा है। आपको बता दें कि आदित्य-L1 भारत के हेवी-ड्यूटी लॉन्च वाहन, पीएसएलवी पर सवार होकर 1.5 मिलियन किलोमीटर की यात्रा करेगा। इस बारे में इसरो प्रमुख एस सोमनाथ का कहना हैं कि प्रक्षेपण के बाद, इसे पृथ्वी से लैग्रेंज बिंदु 1 (एल1) तक पहुंचने में 125 दिन लगेंगे। हमें तब तक इंतजार करना होगा। यह अंतरिक्ष में एक प्रकार के पार्किंग स्थल की ओर जाएगा जहां ग्रैविटेश्नल फोर्स को संतुलित करने के कारण वस्तुएं रुकी रहती हैं, जिससे अंतरिक्ष यान के लिए ईंधन की खपत कम हो जाती है।
चंद्रयान-3 मिशन के साथ भारत चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास उतरने वाला पहला देश बन गया है। इस मिशन की लागत 600 करोड़ थी, जो कुछ ब्लॉकबस्टर बॉलीवुड फिल्मों की लागत के बराबर थी। अब आदित्य-L1 को चंद्रयान-3 की लगभग आधी लागत पर बनाया गया है। सरकार ने सूर्य के वातावरण का अध्ययन करने के मिशन के लिए 2019 में 378 करोड़ मंजूर किए थे। हालांकि इसरो ने अभी तक लागत पर कोई आधिकारिक अपडेट नहीं दिया है। उधर चंद्रयान-3 का रोवर ‘प्रज्ञान’ ठीक से काम कर रहा है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने एक वीडियो जारी किया, जिसमें प्रज्ञान रोवर को चंद्रमा की सतह पर लैंडर विक्रम के टचडाउन स्थल ‘शिवशक्ति बिंदु’ के आसपास घूमते हुए दिखाया गया है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर इसरो ने कहा, प्रज्ञान रोवर दक्षिणी ध्रुव पर चंद्रमा के रहस्यों की खोज में शिवशक्ति प्वाइंट के आसपास घूम रहा है।