इनोसेंट हार्टस स्कूल्स व कॉलेज ऑफ़ एजुकेशन ने स्वच्छता ही सेवा अभियान के तहत मनाई गांधी जयंती

शिक्षा

विद्यार्थियों ने स्वच्छता के दर्शन को समझने, फैलाने व आत्मसात् करने की ली शपथ

टाकिंग पंजाब

जालंधर। इनोसेंट हार्टस के पाँचों स्कूलों (ग्रीन मॉडल टाऊन, लोहारां, नूरपुर रोड, कैंट जंडियाला रोड व कपूरथला रोड) के इनोकिड्स तथा इनोसेंट हार्टस कॉलेज ऑफ़ एजुकेशन में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी तथा पूर्व प्रधानमंत्री श्री लाल बहादुर शास्त्री जी की जयंती धूमधाम से मनाई गई, जिसमें इनोकिड्स के लर्नर्स से स्कॉलर्स तक के बच्चों तथा इनोसेंट हार्टस कॉलेज ऑफ़ एजुकेशन के विद्यार्थियों ने बड़े उत्साह से भाग लिया।       इनोकिड्स के नन्हे बच्चे गांधी जी व शास्त्री जी जैसे परिधानों में सजकर आए और उन्होंने उनके चित्रों पर माल्यार्पण किया। इस अवसर पर बच्चों द्वारा दांडी मार्च निकाला गया। कक्षाओं में अध्यापिकाओं ने बच्चों को गांधी जी व शास्त्री जी के जीवन से जुड़ी कहानियाँ सुनाईं तथा उन्हें उनके जीवन से सीख लेने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने बच्चों को स्कूल के प्रांगण की साफ-सफाई तथा अपने आसपास के परिवेश को स्वच्छ रखने के लिए जागरूक किया।        इनोसेंट हार्टस कॉलेज ऑफ़ एजुकेशन, जालंधर की एनएसएस इकाई ने स्वच्छ वातावरण के संदर्भ में गांधीवादी दर्शन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से स्वच्छता के तीन आयामों – स्वच्छ मन, स्वच्छ शरीर और स्वच्छ वातावरण से गांधी जयंती मनाना शुरू किया। विद्यार्थी-अध्यापकों द्वारा स्कूलों में शिक्षण-अभ्यास के रूप में २५ सितंबर, २०२३ से एसएचएस-२०२३ गार्बेज फ्ऱी इंडिया थीम के साथ स्वच्छता ही सेवा अभियान शुरू किया गया।        इस अवसर पर स्कूली छात्रों के साथ विभिन्न गतिविधियाँ आयोजित की गईं जिनमें किसी को भी सड़कों पर नहीं थूकना चाहिए या अपनी नाक साफ़ नहीं करनी चाहिएज्-एम.के. गांधी तथा अपशिष्ट पृथक्करण प्रबंधन- हरा गीला, सूखा नीला अभियान के अनुसार सूखे और गीले कचरे के डिब्बे की संतृप्ति के महत्व पर जागरूकता फैलाने के लिए एक्सटेंशन लेक्चर आयोजित किया गया। एनएसएस वालंटियर्स ने स्कूलों में एकल उपयोग वाली प्लास्टिक वस्तुओं का उपयोग न करने के बारे में सुबह की प्रार्थना सभा में भाषण भी दिए।         कॉलेज में कचरे को उपयोगी उत्पादों में बदलने और सिंगल यूज प्लास्टिक (एसयूपी) के विकल्पों को बढ़ावा देने की थीम पर बेस्ट आउट ऑफ वेस्ट प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। सभी विद्यार्थी-अध्यापक सक्रिय रूप से हस्तशिल्प जैसे- बेकार सामग्री से मिट्टी के बर्तन बनाना, सजावटी पेपर बैग, पेपर मशीन, काँच का काम, कागज़ शिल्प, कठपुतलियाँ और पत्थर का काम आदि का अभ्यास करते थे। महात्मा गांधी ने हस्तशिल्प प्रशिक्षण पर ज़ोर दिया था। विद्यार्थियों ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधीजी द्वारा दिए गए स्वच्छता के दर्शन को समझने, फैलाने और आत्मसात् करने की शपथ ली।

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