जालंधर। दिल्ली व पंजाब की सरकार हर बार दिवाली के मद्देनजर पटाखे कम चलाने व पटाखे चलाने का समय निर्धारित करती हैं। इस फरमान को जारी करके जहां सरकारें भूल जाती हैं, वहीं इसे पढकर या जानकर लोग भी भूल जाते हैं। इसका जीता जागता उदाहरण दिल्ली व पंजाब में चले पटाखो से पता चलता है। अगर हम पंजाब की बात करें तो पंजाब सरकार की तरफ से जारी किए गए पटाखे चलाने के आदेशों की दिवाली वाली रात को जमकर धज्जियां उड़ी। पंजाब में दिवाली की रात इतना पटाखा चला कि पंजाब में लोगों का सांस लेना तक मुश्किल हो गया। वायु की गुणवत्ता इस कदर खराब हो गई थी कि सांस की बिमारी से पीड़ित मरीजों की तो जान पर बन आई थी। हालांकि सुप्रीम कोर्ट व नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की सख्ती के बाद पंजाब सरकार ने पटाखे चलाने का समय रात 8 से 10 बजे तक निर्धारित किया था, लेकिन रात 7 बजे से इस लेकर रात 2 बजे तक इस कदर पटाखे चले हैं कि इन पटाखो की आवाजें रात भर गूंजती रहीं। जैसे-जैसे सम बीतता गया व रात होती गई, पंजाब में धुंए की चादर इस कदर बिछती चली गई कि थोड़ी सी दूरी पर भी देखना मुश्किल हो रहा था।अगर हम अमृतसर की बात करें तो दिवाली वाले दिन रात 9 बजे के करीब वायु गुणवत्ता का आईक्यु लेवल 257, रात 10 बजे 354, रात 11 बजे 427, रात 12 से 3 बजे तो 500 के पार चली गई थी। इसी तरह लुधियाना में वायु गुणवत्ता लेवल रात 9 बजे 310, रात 10 बजे 459, रात 11 बजे से सुबह 5 बजे 500 के पार चली गई थी। अब हम अगर जालंधर की बात करें तो जालंधर में वायु गुणवत्ता का लेवल रात 9 बजे 214, रात 10 बजे 319, रात 11 से सुबह 4 बजे तक ही 500 तक पहुंच गई थी। सोमवार सुबह 8 बजे के करीब भी यह वायु गुणवत्ता लेवल 323 के करीब आंका गया था, जबकि इसका एवरेज गुणवत्ता लेवल 252 के करीब है। इसके अलावा बठिंडा की बात करें तो उसे तो रेड जोन में रख दिया गया था। बठिंडा में वायु गुणवत्ता शाम 6 बजे 320, शाम 7 बजे 413, रात 8 बजे 430, रात 9 से सुबह 6 बजे तक 430 से 491 के बीच रही। हैरानी की बात तो यह है कि जहां बाकी शहरों में सोमवार को वायु गुणवत्ता में सुधार देखने को मिला वहीं बठिंडा में सोमवार सुबह 8 बजे तक वायु गुणवत्ता का लेवल 430 के करीब दर्ज किया गया। अब हम आपको बताते हैं कि वायु गुणवत्ता का लेवल कितना होना चाहिए व इसके बढने से क्या परेशानी आ सकती है। अगर वायु गुणवत्ता का लेवल 0-50 है तो इसे सेहत के लिए काफी अच्चा माना जाता है, लेकिन इस लेवल को पानी आजकल मुमकिन नहीं है। इसके साथ ही अगर यह लेवल 51 से 100 है तो इसे फिर भी सुरक्षित माना जाता है। इसके बाद अगर वायु गुणवत्ता का लेवल 101 से 200 के करीब पहुंचता है तो लोगों को सांस में हल्की परेशानी हो सकती है इसके साथ ही अगर यह लेवल 201 से 300 के करीब पहुंच जाता है तो यह अस्थमा, छाती के रोगियों के लिए चिंताजनक होता है। इसके बाद अगर यह लेवल 301 से 400 तक पहुंचता है तो इसका अधिक समय तक असर रहने पर आम व्यक्ति को भी सांस की तकलीफ हो सकती है। इसके अलावा अगर कहीं यह लेवल 401 से 500 तक हो जाता है तो अच्छे भले आदमी को भी इस प्रदूर्षित वायु के संपर्क में रहने से सांस की बीमारियों से जूझना पड़ सकता है। ऐसे आईक्यू लेवल स्वस्थ लोगों को प्रभावित तो करता ही है, लेकिन सांस व अन्य बीमारियों से ग्रस्त लोगों को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकता है।
पंजाब में दिवाली वाली रात जमकर उड़ी सरकार व नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के आदेशों की धज्जियां
पटाखे चलाने का समय निधार्रित होने के बावजूद पंजाब में आधी रात तक चलते रहे पटाखे.. आमसान में बिछी धुंए की चादर
टाकिंग पजाब