100 दिनों से पुलिस की पकड़ से दूर चल रहे हैं इंस्पेक्टर नवदीप .. ढिल्लों ब्रदर्स के दोस्त मानवदीप सिंह कर चुके हैं केस की जांच किसी एजेंसी से करवाने की मांग
टाकिंग पंजाब
जालंधर। सुप्रीम कोर्ट में आज एक बहुत ही चर्चित केस की सुनवाई हुई। यह केस कपूरथला के ढिल्लों बदर्स का सुसाइड केस था, जिसमें पिछले कई महीनों से बर्खास्त इंस्पेक्टर नवदीप सिंह फरार चल रहे हैं। उन्होंने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में अपनी जमानत याचिका लगाई थी, जिसकी आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस विक्रम नाथ व राजेश बिंदल की बेंच ने केस में अगली तारीख दे दी है। कोर्ट ने अगली सुनवाई 3 जनवरी को करने के लिए कहा है।
आपको बता दे कि इससे पहले हाईकोर्ट में नवदीप सिंह की जमानत याचिका खारिज हो चुकी है, जिसके बाद इंस्पेक्टर नवदीप सिंह ने सुप्रीम कोर्ट जमानत की याचिका दायर की थी। सुप्रीम कोर्ट से भी राहत न मिलने के चलते अब नवदीप सिंह को फिलहाल 3 जनवरी का इंतजार करना पड़ेगा। बर्खास्त इंस्पेक्टर नवदीप सिंह करीब 100 दिनों से फरार चल रहा है। उधर बीते सोमवार को ढिल्लों ब्रदर्स मानवजीत व जश्नबीर के दोस्त मानवदीप सिंह ने बर्खास्त एसएचओ नवदीप सिंह के करीबियों पर समझौता करने का दबाव बनाने के आरोप लगाए थे।
उसने कहा था कि उसे लगातार फोन कॉल्स आ रही हैं। मानवदीप सिंह उप्पल ने तो यहा तक कह दिया था कि पंजाब पुलिस केस में सही से जांच नहीं कर रही है। इसलिए मामले की जांच पंजाब पुलिस के अलावा किसी एजेंसी ने करवाई जाए। उन्होंने पंजाब पुलिस पर आरोप लगाते हुए कहा था कि पंजाब पुलिस केस को सिर्फ घुमाने का काम कर रही है व पुलिस अपने अधिकारियों को बचाने में जुटी हुई है। अगर पुलिस केस में कुछ नहीं करेगी तो आरोपियों को अपने आप जमानत मिल जाएगी। इसलिए मामले में निष्पक्ष जांच किसी एजेंसी से करवाई जाए।
उधर दूसरी तरफ बर्खास्त एसएचओ नवदीप सिंह की पत्नी सुखविंदर कौर ने आरोप लगाए थे कि जिन मानवजीत व जश्नबीर का किरदार बढिया दिखाया जा रहा है, उन पर हत्या के प्रयास का मामला दर्ज हुआ था। दोनों भाई जेल से समझौते के बाद छूटे थे। हिमालय मोटर्स की कॉलोनी में दोनों भाई लड़कियों को परेशान करते थे। इसी दौरान उनका हिमालय मोटर्स के मालिक से झगड़ा हुआ था। नवदीप सिंह की पत्नी सुखविंदर कौर ने कहा था कि दोनों भाइयों और उनके दादा ने तेजधार हथियारों के साथ हिमालय मोटर्स के मालिक पर तेजधार हथियारों से हमला किया था। दोनों भाइयों और उनके दादा पर हत्या के प्रयास के जुर्म में भारतीय दंड संहिता की धारा 307 के तहत केस दर्ज हुआ था।