धारा 302 अब नहीं रही हत्या जैसा संगीन जुर्म… धारा 144 व 420 में भी हुआ बदलाव..

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सरकार ने भारतीय दंड संहिता को बदल कर भारतीय न्याय संहिता- 2023 लाकर किया 163 साल पुराने कानून में बदलाव का प्रयास 

टाकिंग पंजाब

नई दिल्ली। सभी गवाहो व सबूतों से यह साबित होता है कि मुल्ज़िम ने हत्या जैसा संगीन जुर्म किया है। इसलिए अदालत सभी गवाहो ओर सबूतों के मद्देनज़र मुल्ज़िम को धारा 302 के तहत उमरकैद की सजा सुनाती है। यह शब्द आमतौर पर आपने काफ़ी फिल्मों में सुने होंगे। लेकिन अब यह शब्द बदल गए है, कयोंकि सरकार ने कानून की धाराओं में बदलाव कर दिया है।     दरअसल सरकार ने भारतीय दंड संहिता को बदल कर भारतीय न्याय संहिता- 2023 लाकर 163 साल पुराने कानून में बदलाव का प्रयास किया है, जिसके तहत अब कई धाराओं में बदलाव किया गया है। अब हत्या की धारा 302 नहीं बल्कि नए प्रस्तावित कानून के तहत 101 होगी। इसी तरह अवैध जमावड़े से संबंधित धारा 144 को अब 187 के तहत लाने का प्रस्ताव है। हत्या की धारा के अलावा 420 धारा में भी बदलाव किया गया है। अगर आप भी किसी के धोखेबाजी वाले व्यवहार को दिखाने के लिए वह पुरानी कहावत का इस्तेमाल करते आए हैं कि फलां इंसान बहुत बड़ा 420 है या वह बहुत चार सौ बीसी करता है, तो अब आपको अपनी आदत बदलनी होगी।     इसका कारण यह है कि धोखेबाजी से संबंधित धारा भी बदल गई है। यानी अगर अब किसा को कहेंगे की वह चार सौ बीसी करता है तो शायद उसे कोई फर्क नहीं पड़ेगा। इसी तरह किसी की धोखेबाजी को समझाने के लिए अब आपको कहना पड़ेगा, वह बहुत 316 किस्म का इंसान है। सरकार का ऐसा करने के पीछे तर्क है कि पिछले कुछ सालों में नई धाराओं और उप-धाराओं के शामिल होने से दंड संहिता भारी हो गई है। पुनर्लेखन कानून को अधिक समसामयिक और स्पष्ट बनाने का एक प्रयास है। भारतीय न्याय संहिता में होंगी 356 धाराएं भारतीय न्याय संहिता में आईपीसी की 511 धाराओं के बजाय अब 356 धाराएं होंगी, जिनमें से 175 में संशोधन किया जाएगा।      इसके साथ ही सरकार ने कहा कि आठ नए खंड जोड़े गए हैं और 22 को निरस्त कर दिया गया है। करीब 40 साल पुरानी दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की जगह भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और इंडियन एविडेंस एक्ट की जगह भारतीय साक्ष्य अधिनियम में और अधिक धाराएं होंगी। उन्हें और अधिक प्रासंगिक बनाया गया है, जिसमें चले आ रहे औपनिवेशिक शब्दों से छुटकारा पाना भी शामिल है।      इसके साथ ही भारतीय न्याय संहिता यह समझाने में मदद करेगी कि मानहानि या अतिचार (ट्रेसपास) जैसे अपराधों से जुड़े प्रावधानों का उपयोग कैसे किया जाना चाहिए। इसके साथ ही महिलाओं और बच्चों के साथ होने वाले अपराधों को ध्यान में रखते हुए टेक्नोलॉजी के उपयोग पर विशेष ध्यान दिया गया है, जिससे आम नागरिक के लिए चीजें आसान रहें। जैसे इलेक्ट्रॉनिक एफआईआर या जीरो एफआईआर, जहां अपराध पुलिस स्टेशन के अधिकार क्षेत्र के बाहर हुआ है, लेकिन राज्य के भीतर आसानी से एफआईआर दर्ज की जा सके।

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