सरकारों की बेरूखी के कारण खतरे में पड़ा छोटे बस संचालकों का भविष्य

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सरकार ने टैक्स पूरा लिया, नहीं ली बस संचालकों की सुध.. सालाना 80 करोड़ टैक्स देते हैं 2200 बस संचालक

कोरोना काल में हुए नुक्सान के बाद अभी तक सड़कों पर नहीं उतर पाई 30 प्रतिशत बसें।

नरिंदर वैद्य

जालंधर। कोरोना काल में जहां पंजाब के हर कारोबार को मंदी का सामना करना पड़ा है, वहीं इस काल में सबसे ज्यादा नुक्सान छोटे बस संचालकों को झेलना पड़ा है। इस कोरोना काल में छोटे बस संचालकों को तो इतना फर्क पड़ा कि वह आज तक अपना नुक्सान पूरा नहीं कर पाए हैं। हालात यह हैं कि कोरोना काल के बाद ठीक हुई स्थिति के बावजूद भी उस समय बंद हुई 30 प्रतिशत बसे आज तक सड़कों पर नहीं उतर सकी हैं। यह वह बसें थी, जिन बसों का या तो टैक्स नहीं भरा जा सका या फिर जिन बसों की पासिंग, इंश्योरेंस आदि भी खत्म हो चुकी थी। यहां तक की खड़ी बसों की बैटरी व टायर आदि पार्टस भी कंडम हो गए थे। अब पैसे की कमी के कारण ऐसे बस संचालक न तो टैक्स भर सके व नही ही ​इंश्योरेंस आदि करवा सके। इनमें से कुछ बस संचालकों की बसें आज तक सड़कों पर नहीं लौट पाई हैं।

 पंजाब सरकार को 80 करोड़ रूपए टैक्स के रूप में देती हैं बसें 

इस मुद्दे पर मोटर ट्रांसपोर्ट यूनियन के संदीप शर्मा का कहना है कि पंजाब में कुल 2200 बड़ी बसें हैं जो कि कुल 80 करोड़ रूपए मोटर व्हीकल टैक्स के रूप में सरकार को देती हैं। इन बसों से 2. 56 पैसे किलोमीटर टैक्स व इसके अलावा इस टैक्स पर 10 प्रतिशत सरचार्ज लिया जाता है। यह टैक्स 30 दिन वाले महीने में 26 दिन व 31 दिन के महीने में 27 दिन देना ही पड़ता है, चाहे आपकी बस चले या न चले। यह ही कारण रहा कि कोरोना काल में बस संचालकों को खड़ी बसों का भी टैक्स देना पड़ा, जिसके चलते छोटे बस संचालकों का कारोबार आज तक पटड़ी पर नहीं लौट सका है।

 कैप्टन सरकार ने माफ किया टैक्स, उनके हटते ही हो गया रद्द 

संदीप शर्मा का कहना है कि कोरोना की पहली लहर में बसें खड़ी हो गई, जिसके बाद कैप्टन सरकार ने 1 अप्रैल से 31 दिसंबर 2020 तक टैक्स माफ कर दिया था। इसके बाद दूसरी लहर आ गई व बसें फिर से बंद कर दी गई। हमें 50 प्रतिशत सवारी के साथ बसें चलाने को कहा गया तो हमने कहा, 50 प्रतिशत से खर्च भी पूरा नहीं होगा। इस पर कैप्टन सरकार ने आगे भी टैक्स माफ करने का भरोसा दिया, लेकिन पंजाब में कैप्टन की जगह चन्नी सरकार आ जाने के बाद यह टैक्स माफ नहीं हो सका। नईं सरकार के नए ट्रांसपोर्ट मंत्री ने तो यहां तक कह दिया था कि जिन बस संचालकों ने टैक्स नही भरा, उनके परमिट कैंसल कर दिए जाऐंगे। इसके बाद ​कुछ बस संचालकों ने अपनी बसें बेच या फिर कहीं ओर से रूपए का इंतजाम करके टैक्स भरा व अपने परमिट बचाए।

नए रोजगार की बात करते हैं, जो पुराने चलते, उन्हें बचा लीजिए – संदीप शर्मा

हाल ही में सीएम मान के साथ हुई मीटिंग दौरान बस संचालकों ने सीएम से छूट देकर इस कारोबार को बचाने की अपील की। इन बस संचालकों ने सीएम मान से कहा कि आप नया रोजगार देने की बात कर रहे हैं, अच्छी बात है, लेकिन जो पुराने रोजगार चल रहे हैं, पहले उन्हें बचा ​लीजिए। संचालकों ने सीएम मान से कहा कि अगर आप टैक्स कम नहीं कर सकते तो कम से कम हमारी अड्डा फीस ही माफ कर दीजिए। सीएम मान ने उन्हें भरोसा दिया कि वह इस मामले का कोई न कोई हल जरूर करेंगे।

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