अब पार्टी प्रधान सुखबीर बादल करेंगे सुझावों को लागू करने का फैसला.. 1-2 मीटिंगों बाद सार्वजनिक कर दी जाऐगी रिपोर्ट
टाकिंग पंजाब
चंडीगड़। पंजाब में जब अकाली दल व भाजपा का गठबंधन था तो अकाली दल ने पंजाब में 2007 से लेकर 2017 तक लगातार 2 बार सरकार चलाई। इसके अगले चुनाव में अकाली दल को बुरी तरह से हार झेलनी पड़ी। इसके बाद 2022 में हुए पंजाब विधानसभा चुनावों में अकाली दल को उम्मीद थी कि इस बार उन्हें सत्ता जरूर मिलेगी। लेकिन हुआ इसके उल्ट..अकाली दल की हालत पहले से भी ज्यादा बदतर हो गई। इन चुनावों में आम आदमी पार्टी 92 सीटें जीत गई व बसपा से गठबंधन के बावजूद अकाली दल 3 सीटों पर सिमटकर रह गया। पार्टी की इस हालत के बाद झूंदा कमेटी बनाई गई व पार्टी की हार के कारण तलाशे गए। शिरोमणि अकाली दल (बादल) के विधायक मनप्रीत अयाली ने हाल ही में झूंदा कमेटी की इसी रिपोर्ट को लागू करने की मांग भी की थी।
पंजाब के 117 में से 100 विधानसभा क्षेत्रों में जाकर लिया गया फीडबैक
इस रिपोर्ट को अकाली नेता इकबाल सिंह झूंदा की टीम ने तैयार किया था। उन्होंने कहा था कि इस रिपोर्ट को तैयार करने के लिए उन्होंने पंजाब के 117 में से 100 विधानसभा क्षेत्रों में जाकर फीडबैक लिया। इस दौरान अकाली वर्करों के साथ सिख संगत से भी पूछा गया कि आखिर 2022 में अकाली दल कैसे हार गया ? रिपोर्ट में जो भी निचोड़ निकला, उसे पार्टी को सौंप दिया गया है। अकाली नेता इकबाल सिंह झूंदा की इस रिपोर्ट आने के बाद शिरोमणि अकाली दल (बादल) की कोर कमेटी की चंडीगढ़ में 5 घंटे तक मीटिंग हुई। मीटिंग के बाद अकाली नेताओं ने कहा कि पार्टी ने 13 मेंबरी झूंदा कमेटी की सिफारिश मान ली हैं, जिसमें 42 सुझाव दिए गए हैं। इन सुझावों को लागू करने का फैसला अब पार्टी प्रधान सुखबीर बादल करेंगे।
रिपोर्ट में प्रधान बदलने का कोई सुझाव नहीं, प्रधान बने रहेंगे सुखबीर
इस रिपोर्ट पर झूंदा ने कहा कि जो बात लीडरशिप के खिलाफ गई, उसका जिक्र भी रिपोर्ट में किया गया है। पार्टी से जो गलतियां हुई, उसे भी रिपोर्ट में बताया गया है। एक-दो मीटिंग के बाद इसे सार्वजनिक कर दिया जाएगा। अकाली नेताओं ने यह साफ कर दिया कि झूंदा कमेटी की रिपोर्ट में प्रधान बदलने का कोई सुझाव नहीं है। सुखबीर बादल पार्टी के प्रधान बने रहेंगे।