आप ने सरकार बनने के शुरूआती 3 माह में लिया 8 हजार करोड़ का कर्ज .. 2024-25 तक 3.37 लाख करोड़ रुपए पहुंच सकता है पंजाब का कर्ज
मुफ्त की रेवड़ीयां बांटते बांटते अगर 3.37 लाख करोड़ रुपए पर पहुंचा कर्ज तो ब्याज चुकाने में ही जाएगा वार्षिक बजट का 20 फीसदी हिस्सा
टाकिंग पंजाब
चंडीगढ़। पंजाब में 7 माह पहले हुए विधानसभा चुनावों में 92 सीटों के साथ पंजाब की सत्ता पर काबिज हुई आम आदमी पार्टी की सरकार ने 7 महीने का कार्यकाल पूरा कर लिा है। इस 7 महीने के कार्यकाल में जहां सरकार ने कईं उपलब्धियां हासिल की, वहीं कईं विवादों के कारण सरकार की किरकिरी भी हुई। पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान व अन्य आप नेता सरकार के इस कार्यकाल को ऐतिहासिक बता रहे हैं। सरकार का मानना है कि ओल्ड पेंशन स्कीम लागू करना, 600 यूनिट बिजली फ्री करना, कर्मचारियों का डीए 6 प्रतिशत बढ़ाना, विभिन्न विभागों में भर्ती निकालना, शिक्षक रेगुलर करना व 100 आम आदमी क्लिनिक खोलना उनकी ऐतिहासिक उपलब्धियां हैं।
यह सब कुछ सुनने व देखने में अच्छा लगता है, लेकिन इस बीच सरकार को सबसे ज्यादा जो चिंता सताए जा रही है, वह पंजाब पर बढ़ता आर्थिक कर्ज का बोझ है। मुफ्त की रेवड़ीयां बांटने के चक्कर में पंजाब कर्ज के बोझ तले दबता जा रहा है। आप की सरकार ने चुनाव के समय घोषणाएं तो कर दी लेकिन उन घोषणाओं को अमलीजामा पहनाने के लिए पैसा कहां से आना था। इसक बाद आप सरकार ने भी बाकी पहले की सरकारों की तरह ही सरकार बनने के शुरूआती 3 महीने में ही 8 हजार करोड़ का अतिरिक्त कर्ज ले लिया, जो अब कई हजार करोड़ रुपए ओर बढ़ चुका है।
कैग के अनुसार 2024-25 तक पंजाब पर आर्थिक बोझ 3.37 लाख करोड़ रुपए तक पहुंच सकता है। ऐसा होने पर राज्य के वार्षिक बजट का 20 फीसदी हिस्सा कर्ज का ब्याज चुकाने में जाएगा। ऐसे में पंजाब पर बढ़ता कर्ज का बोझ आने वाले समय में पंजाब को किस दिशा में लेकर जाऐगा, यह सोचने वाली बात है। उधर दूसरी तरफ विपक्ष ने मान सरकार पर पुरानी सरकारों के समय से जारी योजनाओं को दोहराने व गुजरात व हिमाचल प्रदेश के चुनावों में फायदा लेने के लिए आधारहीन घोषणाएं करने के आरोप लगाए हैं।
इसके अलावा अगर इन 7 माह में आप सरकार के विवादों की बात करें तो पीएयू के वीसी की नियुक्ति के लिए पंजाब के गवर्नर से विवाद, बहुमत साबित करने को पंजाब विधानसभा का सेशन बुलाने पर विवाद, गवर्नर के रद्द करने पर भी दोबारा सेशन बुलाकर बहुमत प्रस्ताव पास करने पर विवाद, पंजाब के नेताओं, अफसरों व अन्यों की सुरक्षा घटाना पर विवाद, सिद्धू मूसेवाला हत्याकांड का जिम्मेदार ठहराया जाने का विवाद, कैबिनेट मंत्री विजय सिंगला को बर्खास्त कर जेल भिजवाने व दोबारा पार्टी के साथ रखने का विवाद सरकार के साथ साथ ही रहा है।
इतना ही नहीं मंत्री फौजा सिंह सरारी खिलाफ कार्रवाई न करने का विवाद, किसानों के साथ विवाद, मिड-डे मिल वर्करों, पनबस व पीआरटीसी कर्मचारियों का विवाद, हरियाणा के साथ एसवाईएल का विवाद, एक्साइज पॉलिसी को पंजाब में लागू करने पर विवाद, गुजरात-हिमाचल चुनाव प्रचार में पंजाब के पैसे के इस्तेमाल पर विवाद, सीएम के काफिले की सरकारी गाड़ियों की संख्या बढ़ने पर विवाद, सरकार के 3 माह दौरान ही 8 हजार करोड़ रुपए कर्ज पर विवाद के साथ कईं अन्य विवाद हैं, जिसके कारण मान सरकार पर विपक्ष हावी रहा है।