कांग्रेस पार्टी अध्यक्ष बनने के बाद मल्लिकार्जुन खड़गे ने बनाई 47 सदस्यों की स्टीयरिंग कमेटी

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मल्लिकार्जुन खड़गे के खिलाफ चुनाव लड़ने वाले शशि थरूर को नहीं मिली कमेटी में जगह 

टाकिंग पंजाब 

नई दिल्ली। मल्लिकार्जुन खड़गे के कांग्रेस पार्टी अध्यक्ष बनने के बाद कांग्रेस पार्टी में नए युग की शुरुआत हो गई है। मल्लिकार्जुन खड़गे के रूप में कांग्रेस पार्टी को 24 साल बाद गैर गांधी अध्यक्ष मिला है। मल्लिकार्जुन खड़गे ने आज औपचारिक रूप से कांग्रेस के नए अध्यक्ष के रूप में पद संभाल लिया है। पार्टी की ओर से आयोजित भव्य कार्यक्रम में सोनिया गांधी के अलावा राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा भी शामिल हुए।

   AICC मुख्यालय दिल्ली में सोनिया, राहुल और प्रियंका गांधी वाड्रा की उपस्थिति में चुनाव अधिकारी मधुसूदन मिस्त्री ने उन्हें जीत का प्रमाण पत्र सौंपा। इसके बाद खड़गे ने कांग्रेस वर्किंग कमेटी की मीटिंग भी कर डाली। इस मीटिंग में खड़गे ने CWC की 47 सदस्यों की स्टीयरिंग कमेटी का ऐलान भी  किया।

   इस दौरान सबसे बड़ी बात यह रही कि इस कमेटी में मल्लिकार्जुन खड़गे खिलाफ चुनाव लड़ने वाले शशि थरूर को जगह नहीं मिली है। इस कमेटी में सोनिया गांधी, डॉ. मनमोहन सिंह, राहुल गांधी समेत 47 लोगों को शामिल किया गया है।

  हालांकि मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह को भी कमेटी में शामिल किया गया है। बता दें कि CWC कांग्रेस पार्टी की सर्वोच्च कार्यकारी संस्था है। खड़गे के ऐलान के बाद अब नई स्टीयरिंग कमेटी ही पार्टी संगठन से जुड़े बड़े फैसलों पर मुहर लगाएगी। खड़गे को पार्टी की कमान सौंपते हुए सोनिया गांधी ने कहा कि आज मैं बड़े दायित्व से मुक्त हो रही हूं।

   इस मौके पर सोनिया गांधी, राहुल गांधी, कांग्रेस के संगठन महासचिव के सी वेणुगोपाल, केंद्रीय चुनाव प्राधिकरण के सदस्य राजेश मिश्रा, अरविंदर सिंह लवली और ज्योति मणि भी मंच पर मौजूद रहे। इस दौरान सोनिया गांधी ने कहा कि मैं अब राहत महसूस कर रही हूं।

   मैं इस बात को स्पष्ट करना चाहती हूं कि आपने इतने सालों से मुझे जो प्यार और सम्मान दिया है, उसका अहसास मुझे जीवन की आखिरी सांस तक रहेगा, लेकिन यह सम्मान एक बड़ी जिम्मेदारी भी थी। मुझसे अपनी क्षमता और योग्यता के मुताबिक जो बन पड़ा है, वह किया है।

  करीब 22 सालों तक कांग्रेस की अध्यक्ष रहीं सोनिया गांधी ने कहा कि आज हमारी पार्टी के सामने बहुत सारी चुनौतियां हैं। सबसे बड़ी चुनौती यह है कि देश के सामने लोकतांत्रिक मूल्यों का जो संकट खड़ा हुआ है, उसका मुकाबला हम कैसे करें।

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