एडवोकेट तानिया भट्टी ने ‘कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न की रोकथाम अधिनियम 2013’ के विभिन्न प्रावधानों पर डाला प्रकाश
टाकिंग पंजाब
जालंधर। डीएवी इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी, जालंधर में आंतरिक शिकायत समिति की तरफ से ‘कार्यस्थल अधिनियम 2013 में महिलाओं के यौन उत्पीड़न की रोकथाम’ पर एक कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला को आयोजित करने का मूल उद्देश्य महिला कर्मचारियों व छात्रों को उनके सशक्तिकरण के लिए अधिनियम के प्रावधानों के बारे में जागरूक करना था। इस कार्यशाला में संस्थान के 300 से अधिक छात्रों ने भाग लिया।
इस कार्यशाला में एडवोकेट तानिया भट्टी मुख्य वक्ता थीं। डेवियट प्रिंसिपल डॉ. सुधीर शर्मा ने अधिवक्ता तानिया भट्टी का स्वागत किया। एडवोकेट तानिया भट्टी ने ‘कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न की रोकथाम अधिनियम 2013’ के विभिन्न प्रावधानों पर प्रकाश डाला। उन्होंने महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए उनके अधिकारों व शक्तियों के बारे में बताया।
उन्होंने चार महत्वपूर्ण अनुच्छेदों जैसे अनुच्छेद 14 यानी समानता का अधिकार, अनुच्छेद 15 यानी लिंग के आधार पर भेदभाव, अनुच्छेद 19 यानी किसी भी व्यवसाय/प्रथा को चलाने के लिए महिलाओं के अधिकार का अभ्यास, अनुच्छेद 21 यानी जीवन के अधिकार पर प्रकाश डाला। इसके अलावा उन्होंने पॉश एक्ट का अवलोकन किया। प्रिंसिपल डॉ. सुधीर शर्मा ने इस कार्यशाला में भाग लेने वालों सभी प्रतिभागियों की सराहना की।
उन्होंने कहा कि हम सभी को भारत में महिलाओं के लिए कल्याणकारी सेवाओं के बारे में जागरूकता पैदा करने के महत्व का एहसास होना चाहिए। समापन समारोह के अंत में आईसीसी व जीएससी की टीम के सदस्यों के साथ प्रिंसिपल डॉ. सुधीर शर्मा ने एडवोकेट तानिया भट्टी का आभार व्यक्त किया। अंत में धन्यवाद ज्ञापन डॉ. सुमन टंडन-एसोसिएट प्रो. (बीएम) एवं आंतरिक शिकायत समिति (आईसीसी) के संयोजक द्वारा किया गया।