ब्रिटेन में कंजर्वेटिव पार्टी की करारी हार.. 18 लाख हिंदुओं ने क्यों नहीं दिया ऋषि सुनक का साथ

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ऋषि सुनक के खुद को गर्व से हिंदू कहने व मंदिरों के दौरे करने पर भारी पड़ गया लेबर पार्टी का “हिंदू घोषणा पत्र” का समर्थन

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लंदन, एजेंसी। यूनाइटेड किंगडम में हुए आम चुनाव की 650 सीटों पर मतगणना जारी है। माना जा रहा है, कि आज दोपहर तक सभी सीटों के परिणाम जारी कर दिए जाएंगे। अभी तक जो रूझान आए हैं, उसमें विपक्षी लेबर पार्टी प्रचंड बहुमत हासिल करने की तरफ बढ़ रही है और कंजर्वेटिव पार्टी, जो पिछले 14 सालों से सरकार में थी, उसके शासन का अंत हो गया है। ताजा नतीजों के अनुसार लेबर पार्टी को 400 का आंकड़ा पार कर चुकी है। माना जा रहा है, कि कीर स्टारमर, जिन्होंने लेबर पार्टी के लिए चुनावी अभियान को लीड किया था, वो ब्रिटेन के अगले प्रधानमंत्री बन सकते हैं। वहीं, कंजर्वेटिव पार्टी के नेता और ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने चुनावी हार की संभावनाओं को देखते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। हालांकि, फिलहाल नई सरकार के गठन तक वो केयरटेकर प्रधानमंत्री बने रहेंगे। ऋषि सुनक को नहीं मिला भारतीय समुदाय का साथ ?

     चुनाव से पहले ऋषि सुनक ने भारतीय समुदाय का साथ हासिल करने के लिए काफी मेहनत की थी और खुद को गर्व से हिंदू कहा था। वहीं, ऋषि सुनक ने मंदिरों के भी दौरे किए थे, लेकिन ऐसा लग रहा है, कि ब्रिटेन में रहने वाले 18 लाख हिंदुओं का उन्हें साथ नहीं मिल पाया। यूके में रहने वाले भारतीय मूल के अनुमानित 18 लाख लोग ना सिर्फ वोटों के लिहाज से काफी अहम माने जाते हैं, बल्कि भारतीय लोगों का प्रभाव ब्रिटिश समुदाय पर काफी ज्यादा है, जिसकी वजह से भारतीय समुदाय की राजनीतिक प्राथमिकताएं, यूके चुनाव के परिणाम में निर्णायक फैक्टर मानी जाती हैं। आबादी का सिर्फ 2.5 फिसदी हिस्सा होने के बावजूद, भारतीय समुदाय यूके के सकल घरेलू उत्पाद में 6 प्रतिशत से ज्यादा का योगदान करते हैं।    यह आर्थिक ताकत पर्याप्त राजनीतिक प्रभाव में तब्दील हो जाती है, जिससे सभी प्रमुख राजनीतिक दल उनके वोट की अत्यधिक मांग करते हैं, लेकिन, ऋषि सुनक काफी हद तक देश की अर्थव्यवस्था में सुधार लाने में नाकाम रहे हैं व ब्रिटेन में लोगों के जीवन यापन की लागत काफी बढ़ती ही रही है। चुनाव से पहले यूके स्थित टेक्नोलॉजी इन्वेस्टर अश्विन कृष्णस्वामी ने साउथ चायना मॉर्निंग पोस्ट की एक रिपोर्ट में कहा था कि बहुत सी समस्याएं खुलकर सामने आ रही हैं। बड़ा प्रवासी समुदाय कंजर्वेटिव पार्टी विरोधी लहर की भावना के साथ जा रहा है। लोग कह रहे हैं कि शायद नई सरकार लाने का समय आ गया है। कृष्णास्वामी ने कहा कि ब्रिटिश भारतीय आबादी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बनने वाला हिंदू समुदाय अपनी राजनीतिक व सामाजिक चिंताओं के बारे में काफी मुखर रहा है।    चुनाव से पहले, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक व लेबर पार्टी के नेता कीर स्टारमर, दोनों ने हिंदू मतदाताओं को अपने साथ जोड़ने के लिए काफी मेहनत किए थे। लेकिन, नतीजों को देखने के बाद माना जा रहा है, कि ब्रिटिश भारतीय समुदाय ने भारतीय मूल के ऋषि सुनक की जगह लेबर पार्टी के कीर स्टारमर को चुना है। कीर स्टारमर ने हिंदू वोटरों को लुभाने के लिए कई घोषणाएं की थीं, जिसमें से एक ब्रिटिश हिंदू संगठनों की तरफ से बनाए गये “हिंदू घोषणा पत्र” का समर्थन करना भी शामिल था, जिसने ऋषि सुनक के लिए परेशानी को बढ़ा दिया था। हिंदू घोषणापत्र में चुनाव जीतने वाले नेताओं से हिंदू पूजा स्थलों की रक्षा करने व हिंदू विरोधी घृणा से निपटने का आह्वान किया गया है।   कीर स्टारमर ने हिंदू घोषणापत्र का सीधा समर्थन करते हुए कहा था कि ब्रिटेन में हिंदूफोबिया की घटनाएं बढ़ी हैं। उनकी पार्टी की सरकार बनने पर हिंदूफोबिया से निपटने के लिए काफी काम किए जाएंगे। इसके अलावा, उन्होंने अपने चुनाव अभियान में भारत को लेकर भी कई बातें कही थीं, जिसमें उन्होंने भारत के साथ फ्री ट्रेड एग्रीमेंट को फाइनल नहीं करने के लिए ऋषि सुनक की सरकार की आलोचना की थी। क्रीर स्टारमर ने कहा था, कि अगर उनकी पार्टी की सरकार बनती है, तो भारत के साथ फ्री ट्रेड एग्रीमेंट को जल्द से जल्द करना उनकी प्राथमिकता होगी। बस यह ही कुछ बाते थी जो कि ऋषि सुनक के लिए परेशानी का सबब बनी व उन्हें बि्रटेन की सत्ता से हाथ धोना पड़ा।

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