पश्चिम बंगाल विधानसभा में हुआ एंटी रेप बिल पास… अब बंगाल में रेप के दोषी को मिलेगी 10 दिन में मौत की सजा
टाकिंग पंजाब
कोलकाता। आरजी कर मेडिकल कॉलेज में ट्रेनी डॉक्टर से रेप व मर्डर के बाद से ही डॉक्टर लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं। इस घटना के बाद से ही पश्चिम बंगाल की ममता सरकार पर सवाल उठाए जा रहे हैं। सरकार के खिलाफ लगने वाले आरोपों व उठने वाले सवालो के जवाब में ममता सरकार एंटी रेप बिल लेकर आई है। पश्चिम बंगाल विधानसभा में विशेष सत्र के दूसरे दिन मंगलवार 3 सितंबर को ममता सरकार में कानून मंत्री मोलॉय घटक ने एंटी रेप बिल पास कर दिया है। इसे अपराजिता महिला एवं बाल विधेयक (पश्चिम बंगाल आपराधिक कानून एवं संशोधन) विधेयक 2024 नाम दिया गया है। इस बिल को पारित करने के लिए 2 सितंबर से दो दिन विशेष विधानसभा सत्र बुलाया गया था। इस बिल में रेप करने वाले के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का प्रवाधान रखा गया है। इस बिल के अनुसार अब बंगाल में रेप के दोषी को 10 दिन में मौत की सजा और मामले की जांच 36 दिन में पूरी करनी होगी। इस कानून के बारे में पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी का कहना है कि हमने केंद्रीय कानून में मौजूद खामियों को दूर करने की कोशिश की है। विपक्ष को राज्यपाल से विधेयक पर हस्ताक्षर करने के लिए कहना चाहिए। उसके बाद इसे अधिनियमित करना हमारी जिम्मेदारी है। दरअसल बंगाल सरकार ने बिल को अपराजिता वुमन एंड चाइल्ड बिल 2024 नाम दिया है। इसका मकसद वेस्ट बंगाल क्रिमिनल लॉ एंड अमेंडमेंट बिल में बदलाव कर रेप और यौन शोषण के मामलों में महिलाओं-बच्चों की सुरक्षा बढ़ाना है। इस बिल के अनुसार अगर रेप के दौरान विक्टिम की मौत हो जाती है या फिर वो कोमा में चली जाती है तो इस स्थिति में रेप के दोषी को फांसी की सजा दी जाए। बिल में कहा गया है कि रेप-गैंग रेप के दोषी को उम्रकैद की सजा दी जाए। इसमें उसे सारी उम्र जेल में रखा जाए। इस दौरान उसे पैरोल भी ना दी जाए। मौजूदा कानून के तहत उम्र कैद की कम से कम सजा 14 साल है। उम्र कैद की सजा सुनाए जाने के बाद सजा माफी हो सकती है, पैरोल दी जा सकती है। सजा कम भी की जा सकती है, लेकिन जेल में 14 साल बिताने होंगे। ड्राफ्ट बिल के मुताबिक, रेप के मामलों में जांच 21 दिन के भीतर पूरी कर ली जानी चाहिए। इस जांच को 15 दिन बढ़ाया जा सकता है, लेकिन यह सुपरिंटेंडेट ऑफ पुलिस और इसके बराबर की रैंक वाले अधिकारी ही करेंगे, इससे पहले उन्हें लिखित में इसका कारण केस डायरी में बताना होगा। इसके अलावा जो आदतन अपराधी हैं, ऐसे अपराधियों के लिए भी उम्र कैद की सजा का प्रावधान बिल में है। इसमें दोषी को अपनी आयु पूरी करने तक जेल में रहना होगा व साथ ही जुर्माना भी लगाया जाएगा। ड्राफ्ट बिल के मुताबिक, जिला स्तर पर स्पेशल टास्क फोर्स बनाने का प्रस्ताव है, जिसका नाम अपराजिता टास्क फोर्स होगा। इसकी अगुआई डीएसपी करेंगे। यह टास्क फोर्स नए प्रावधानों के तहत मामलों की जांच के लिए जिम्मेदार होगी। बिल में कहा गया है कि स्पेशल कोर्ट और स्पेशल जांच टीमें बनाई जाएंगी। इन्हें जरूरी संसाधन और विशेषज्ञ मुहैया कराए जाएंगे, जो रेप और बच्चों के यौन शोषण से जुड़े मामले देखेंगे। इनका काम तेजी से जांच, जल्द न्याय दिलाना और पीड़ित को होने वाले ट्रॉमा को कम करना होगा। रेप केस की मीडिया रिपोर्टिंग के लिए भी एक रूल बनाया गया है। मीडिया को कोर्ट की कार्यवाही को प्रिंट या पब्लिश करने से पहले इजाजत लेनी होगी। अगर ऐसा नहीं किया तो जुर्माने के साथ 3 से 5 साल की सजा का प्रावधान रखा गया है।